2919
views
views
सीधा सवाल। बेगूं। पंचायत समिति बेगूं में गुरुवार को महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशालय के अंतर्गत फसल विविधीकरण परियोजना के तहत दो दिवसीय कृषि विस्तार अधिकारियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ। इस कार्यक्रम का उद्देश्य फसल विविधीकरण को प्रोत्साहित करते हुए किसानों की आय और कृषि स्थिरता को बढ़ाना है। परियोजना अधिकारी डॉ. हरि सिंह ने प्रशिक्षण के उद्घाटन के दौरान परियोजना की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि राज्य सरकार ने इस योजना के तहत किसानों को उच्च गुणवत्ता वाले बीज, खाद और तकनीकी सहायता प्रदान की है, ताकि वे विभिन्न प्रकार की फसलों की खेती में रुचि लें। इसके अलावा फसलों के बाजारीकरण के लिए भी ठोस प्रयास किए जा रहे है, ताकि किसानों को उनके उत्पाद का सही मूल्य मिल सके। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सहायक निदेशक कृषि बेगूं डॉ. शंकर लाल जाट ने संबोधित करते हुए कहा कि फसल विविधीकरण दक्षिणी राजस्थान के किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण बदलाव लेकर आया है। क्षेत्र के किसान लंबे समय से सूखा, जल संकट और मोनोक्रॉपिंग की समस्याओं का सामना कर रहे हैं। फसल विविधीकरण इन चुनौतियों का प्रभावी समाधान प्रस्तुत करता है, जिससे न केवल कृषि की स्थिरता में वृद्धि हुई है, बल्कि किसानों का मुनाफा भी बढ़ा है। कृषि अधिकारी डॉ. हरिकेश चौधरी ने प्रशिक्षणार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि फसल विविधीकरण से खेती की लागत में कमी आ रही है और मिट्टी की उर्वरता भी बनी रहती है। इससे उर्वरकों पर किसानों की निर्भरता कम हो जाती है और जल का भी बेहतर उपयोग संभव हो पाता है। विभिन्न फसलें अलग-अलग जल की मात्रा की आवश्यकता रखती हैं, जिससे जल प्रबंधन में सुधार होता है और जल संरक्षण में सहायता मिलती है। इसी क्रम में कृषि अधिकारी डॉ. प्रवीण कुमार ने संबोधित करते हुए कहा कि फसल विविधीकरण का तरीका न केवल जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करने में मदद करता है, बल्कि इससे भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक स्थायी कृषि व्यवस्था का निर्माण हो सकता है। इस तकनीक से कृषि उत्पादन में निरंतरता बनाए रखने के साथ ही पर्यावरणीय संतुलन को भी बनाए रखा जा सकता है। कार्यक्रम में सहायक कृषि अधिकारी डॉ. हंसराज धाकड़ ने फसल प्रबंधन की तकनीकों, फसलों में लगने वाले रोगों और उनके निदान पर गहन जानकारी दी। उन्होंने किसानों को फसलों की देखभाल और उत्पादन बढ़ाने की आधुनिक विधियों से भी अवगत कराया। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में 30 से अधिक कृषि विस्तार अधिकारियों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम में परियोजना से जुड़े प्रमुख अधिकारियों में एकलिंग सिंह, रामलाल और नारायण सिंह झाला उपस्थित थे। प्रशिक्षण के दौरान अधिकारियों ने फसल विविधीकरण के लाभ और इसकी प्रासंगिकता पर भी विचार-विमर्श किया।