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भोग बुद्धि से रोगी एवं योग बुद्धि से मानव बनता है निरोगी - आचार्य विजय राज

सीधा सवाल। कपासन। श्री अखिल भारतीय साधुमार्गी शांत क्रांत जैन श्रावक संघ के आचार्य प्रवर श्री विजयराज जी सहित छः संतों का नगर में भव्य मंगल प्रवेश हुआ। लगभग 23 साल बाद आचार्य श्री यहां पधारे हैं।स्थानीय संघ अध्यक्ष सुगन बाघमार ओर मंत्री पंकज सिरोया ने बताया कि आचार्य श्री ने आज सुबह गांव मुंगाना से विहार किया।संघ के सदस्यों सहित सकल जैन समाज के सदस्य उनकी अगवानी करने पहुंचे।नगर में चुंगी नाके से आचार्य श्री को जुलूस के रूप मे पुराना उदयपुर रोड,पांच बत्ती चौराहा,सदर बाजार,सुनारा मंदिर होते हुए समता भवन में मंगल प्रवेश किया। समता भवन में आयोजित धर्म सभा में आचार्य प्रवर ने कहा कि बुद्धि दो तरह की भोग बुद्धि और योग बुद्धि होती हैं।भोग बुद्धि मानव को रोगी बनती हैं और योग बुद्धि से मानव निरोगी बनता है।भोग बुद्धि का कारण चार संज्ञान है जिसमें आहार संज्ञा,भय संज्ञा, मैथुन और परिग्रह संज्ञा हैं।इनमें उलझा हुआ मानव भोग प्रधान जीवन जीता है।भोग हमारे जीवन का लक्ष्य नहीं होता।भोग रोग का खुला आमंत्रण होता है।जबकि योग निरोग बनाता है।प्रज्ञा सम्पन्न मानव ही अपने जीवन में योग्य को अपनाते हैं।योग बुद्धि व्यक्ति को योगी और आगे महायोगी बनता है।योगवर्ती ही चरित्र सील बनाती हैं।धर्म सभा में स्थानीय संघ के गोविंद सिंह सिरोया,दिलीप संचेती, महावीर चंडालिया, श्रमण संघ के अध्यक्ष सूर्य प्रकाश सिरोया,अनिल बाघमार,रूप लाल डांगी,प्रदीप चंडालिया,ज्ञान गच्छ संघ के सतीश चंडालिया, अशोक सांखला, मंदिर मार्गी संघ के शांतिलाल सेठ,जिनेंद्र डांगी,श्रीपाल सेठ,दिनेश मारवाड़ी,रोशन लाल सेठ,तेरा पंथ संघ के अजय सुराना,चांदमल गोखरू, साधुमार्गी संघ के लादूलाल चंडालिया,मदन लाल दूगड़,मिश्री लाल मारू,मदन लाल चंडालिया सहित सकल जैन के श्रावक श्राविका मौजूद रहे।इसके साथ बैंगलोर, भूपाल सागर,डिंडोली, राशमी,चित्तौड़गढ़, गिलूंड,सुरपुर,पांडोली, गोराजी का निंबाहेड़ा,सिंहपुर,भदेसर,फतहनगर आदि क्षेत्र के भी बड़ी संख्या में श्रावक श्राविका मौजूद रहे।