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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। महाराणा प्रताप बहुउद्देशीय विधि महाविद्यालय चित्तौडग़ढ़ में एलएल.मी. तृतीय वर्ष के विद्यार्थियों द्वारा मूट कोर्ट का आयोजन किया गया। महाविद्यालय प्राचार्य डॉ एस. डी. व्यास ने बताया की डॉ बी आर अम्बेडकर के पाठ्यक्रम के अनुसार प्रायोगिक परीक्षा हेतु मूट कोर्ट विचारण प्रक्रिया में विधि के विद्यार्थियों द्वारा किसी भी न्यायिक मामले का मूट कोर्ट कक्ष में विचारण किया जाना आवश्यक है। इस हेतु विधि व्याख्याता डॉ पूजा राजोरा के निर्देशन में मूट कोर्ट में भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 101, 103 तथा 309 हत्या एवं लूट संबंधी एक प्रसिद्द वाद निशिकांत झा बनाम बिहार राज्य 1968 मामले की विचारण प्रक्रिया का मंचन किया गया। जिसमे लोक अभियोजक के रूप में कैलाश कुमार छिपा, आयुषी लड्डा ने अभियोजन की ओर से पैरवी की तथा बचाव पक्ष की ओर से हीरालाल गाडरी, देव मेवाडा ने पैरवी की इस मामले में अन्य भूमिकाये अभियुक्त, साक्षी, अन्वेक्षण अधिकारी, डाक्टर, मुखिया, प्रधानाध्यापक, रिसर्चर, पेशकार, टंकण, संतरी. हंकारा, क्रमशः पियूष सेन, आशुतोष पाराशर, राजू खटिक, अजय सिंह पुरावत, रतन कुमावत, प्रकाश चौधरी, विष्णुकांत दायमा, महाविद्यालय स्टाफ टीनू चुण्डावत, अंजलि छिपा, निशा, रोहित, महेश, दामोदर जोशी, श्रवण सिंह ने निभाई। इस प्रसिद्ध ऐतिहासिक मामले में न्यायधीशो की भूमिका में प्राचार्य डॉ एस.डी. व्यास, बीना सिंह तथा कोमल पंचोली ने निभाई। मूट कोर्ट न्यायाधिपति ने अभियोजन पक्ष एवं बचाव पक्ष के तर्कों के आधार पर निशिकांत झा को अपने मित्र जय प्रकाश दुबे की हत्या का दोषी मानते हुवे उसे भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 101 के अंतर्गत दोषी मानते हुवे धारा 103 के तहत आजीवन कारावास से दण्डित किया। मूट कोर्ट विचारण प्रक्रिया के दौरान प्रबंध निदेशक डॉ जे एल पुरोहित विधि व्याख्यातागण डॉ सुखदेव रेबारी, डॉ शिप्रा मूंदड़ा, दीपमाला कुमावत, सुमित उपाध्याय, दीपक पारीक, मुकेश कुमार टेलर, निशांत पुरोहित एवं प्रथम व् द्वितीय वर्ष के छात्र - छात्रा दर्शक दीर्घा में उपस्थित रहें।