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सीधा सवाल। बेगूं। नगर में जाम के हालातों से मुक्ति दिलाने के उद्देश्य से निर्माण किया गया शहीद भगत सिंह बस स्टैंड आज भी अपनी बदहाल व्यवस्था पर आंसू बहा रहा है, जिस पर बेगूं नगर पालिका प्रशासन भी आंखें मूंद कर बैठा है। हालांकि पालिका प्रशासन द्वारा वाहवाही बटोरने के लिए बस स्टैंड पर चौपाटी जैसे स्थानों का निर्माण भी करवाया गया, लेकिन उनके संचालन में क्या रोड़ा आ रहा है यह पालिका प्रशासन ही जानता है। जानकारी के अनुसार बेगूं नगर के पुराने बस स्टैंड और मिस्त्री मार्केट में प्रतिदिन बसों के आवागमन से लगने वाले जाम से निजात दिलाने के उद्देश्य से क्षेत्रीय विधायक डॉ सुरेश धाकड़ द्वारा अपने पिछले कार्यकाल में बेगूं–चित्तौड़गढ़ मुख्य मार्ग पर बिजली विभाग कार्यालय के सामने नवीन बस स्टैंड का निर्माण करवाकर उसका नामकरण अमर शहीद भगत सिंह के नाम पर किया गया, जहां से बसों का विधिवत संचालन भी शुरू हुआ, लेकिन आज पालिका प्रशासन की अनदेखी उसी बस स्टैंड पर भारी पड़ने लगी है। बस स्टैंड पर यात्रियों के बैठने के लिए लगाई गई स्टील की कुर्सियां टूटकर अपने स्थान से गायब हो गई है, जहां अब सीमेंट की कुर्सियां लगाई गई है, वही उचित साफ सफाई और देखरेख के अभाव में प्लेटफार्म अपनी बदहाल स्थिति बयां कर रहे है। यहां तक कि बस स्टैंड का नामकरण होने के करीब 8 साल से अधिक का समय गुजरने के बाद भी यहां बस स्टैंड के नाम का बोर्ड आज भी नही लगा है, जो पालिका की उदासीनता को उजागर करता है। इसके साथ ही बस स्टैंड पर लाखों रूपये की लागत से निर्माण की गई चौपाटी और सुलभ शौचालय पर आज भी ताला लगा हुआ है। आखिर पालिका प्रशासन सरकारी मद से निर्मित इन सुविधाओं को आमजन को कब समर्पित करेगा, ये सोचने का विषय है? हालांकि नगरपालिका के आला अधिकारी समय–समय पर बस स्टैंड पर संचालित अन्नपूर्णा रसोई घर का निरीक्षण कर भोजन का स्वाद चखने और आश्रय स्थल पर उपलब्ध सुविधाओं का जायजा लेने भी पहुंचते है, लेकिन बस स्टैंड पर करीब 50 कदम की दूरी पर यात्रियों की मूलभूत सुविधाओं के संबंध में कोई आवश्यक कदम अभी तक नही उठा पाए है। लाखों रूपये की लागत से निर्मित सुलभ शौचालय पर ताला लटकने से यात्री और बस चालक खुले में शौच करने को मजबूर है, लेकिन पालिका प्रशासन द्वारा अभी तक इस ओर कोई खास ध्यान नही दिया गया। इसी प्रकार यात्रियों के जलपान और नगरवासियों के लिए निर्माण की गई चौपाटी आज देखरेख के अभाव में झाड़ झंखाड़ से अटी हुई है। चौपाटी के मुख्य द्वार पर ताला लगा होने से मुख्य द्वार का उपयोग बस चालकों द्वारा कपड़े सुखाने के लिए किया जाने लगा है। आज के समय में सुलभ शौचालय और चौपाटी के संचालित नही होने से बस स्टैंड पर बस चालकों द्वारा बसों को भी उक्त स्थानों के सामने पार्क कर दिया जाता है, जिससे सरकारी मद से निर्माण किए गए लाखों रूपये की लागत के भवनों की दुर्दशा जगजाहिर होने लगी है, इधर सरकारी मद से खर्च की गई राशि पर लोगों द्वारा भी चुटकीयां ली जाने लगी है। इसके साथ ही बसों के आड़ में लगे कचरे के ढेर पर आवारा कुत्ते और पशु मंडराते रहते है, जिससे बाहर से आने वाले यात्री भी बेगूं बस स्टैंड के संबंध में कोई खास संदेश नही लेकर जा रहे है।