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सीधा सवाल। छोटीसादड़ी। उपखंड क्षेत्र के राजपुरा गांव में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के चौथे दिन रविवार को श्रद्धालुओं ने श्रीकृष्ण जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया। कथा वाचक पंडित माणकचंद्र मेनारिया (फतेहनगर) ने विभिन्न प्रसंगों के माध्यम से भक्तों को भगवान के चरित्र और धर्म की महिमा का वर्णन किया।
कथा के दौरान राजा बलि, हिरण्यकश्यप-प्रह्लाद चरित्र, अजामिल प्रसंग और मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम जन्म जैसे महत्वपूर्ण प्रसंग सुनाए गए। भगवान श्रीकृष्ण के जन्म का प्रसंग शुरू होते ही पूरा पांडाल भक्ति और आनंद में झूम उठा। श्रद्धालु "नंद के घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की" जैसे भजनों पर झूमने लगे। जन्मोत्सव के अवसर पर मक्खन और मिश्री का प्रसाद वितरित किया गया।
कथा वाचक ने कहा कि जब-जब अधर्म बढ़ता है, तब-तब परमात्मा अवतार लेकर धरती पर धर्म की स्थापना करते हैं। कंस के अत्याचारों को खत्म करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण का अवतरण हुआ। कंस ने अमरत्व पाने के लिए घोर तपस्या की और भगवान शिव से दिव्य धनुष प्राप्त किया। उसने अपने पिता को बंदी बना लिया और अपनी बहन देवकी के आठवें पुत्र को अपना काल मानते हुए उन्हें कारागार में डाल दिया। लेकिन भगवान श्रीकृष्ण ने जन्म लेकर कंस और अन्य राक्षसों का संहार किया। पंडित माणकचंद्र ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण जीवन को सद्मार्ग पर ले जाता है। इसमें वर्णित श्लोक और मंत्र भगवान की आराधना और मानव कल्याण का मार्ग बताते हैं। कथा के माध्यम से उन्होंने भक्तों को प्रेरित किया कि बिना निमंत्रण भी अगर भागवत कथा सुनने का अवसर मिले, तो अवश्य जाना चाहिए।
इस मौके पर श्रीकृष्ण जन्मोत्सव का नाटकीय मंचन किया गया। सुनील धाकड़ ने वासुदेव की भूमिका निभाई, जबकि बाल कलाकार नितिका ने बाल कृष्ण के रूप में सराहनीय प्रदर्शन किया। राम जन्म, ताड़का वध, राम विवाह और राम राज्याभिषेक जैसे प्रसंगों को भी सुंदर व्याख्यान और मंचन के माध्यम से प्रस्तुत किया गया।