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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट क्रमांक-2 चित्तौड़गढ़ के न्यायालय ने चेक अनादरण के मामले में फैसला सुनाते हुए अभियुक्त शिव भारती को एक वर्ष के कारावास एवं पांच लाख के अर्थदंड से दंडित किया है। परिवादी सुरेश चंद खटीक निवासी गांधीनगर, चित्तौड़गढ़ एवं अभियुक्त शिव भारती निवासी लखारीघाटी, ओछड़ी दरवाजा, किला रोड, चित्तौड़गढ़ के बीच आपसी जान-पहचान के कारण 4 जनवरी 2015 को परिवादी ने अभियुक्त को ₹3 लाख नकद उधार दिए थे। इस राशि के बदले अभियुक्त ने अपने एक्सिस बैंक, चित्तौड़गढ़ शाखा के खाते का एक चेक हस्ताक्षरित कर परिवादी को सौंपा। जब परिवादी ने उक्त चेक अपने बैंक खाते में प्रस्तुत किया, तो पाया कि अभियुक्त ने जानबूझकर अपना बैंक खाता बंद कर दिया, जिससे चेक अनादरित हो गया।
इस पर परिवादी ने अपने अधिवक्ता ओमप्रकाश शर्मा, राजेंद्र सिंह चौहान एवं सत्यनारायण माली के माध्यम से नियमानुसार विधिक नोटिस भेजा और फिर न्यायालय अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट क्रमांक-2, चित्तौड़गढ़ में परिवाद दायर किया।
न्यायालय के पीठासीन अधिकारी सिद्धार्थ सांदु ने गवाहों, साक्ष्यों एवं दस्तावेजों का अवलोकन करते हुए अभियुक्त शिव भारती को नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट की धारा 138 के तहत दोषी ठहराया। अदालत ने अभियुक्त को ₹5 लाख के अर्थदंड एवं 1 वर्ष के कारावास की सजा सुनाई। साथ ही, जुर्माना नहीं चुकाने की स्थिति में अतिरिक्त कारावास की भी सजा निर्धारित की।