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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। संत शिरोमणि गुरू रविदास की 648वीं जयंती हर्षोल्लास के साथ सत्संगी भजनायती संत महंत परिवार सदस्यों के साथ बुधवार 12 फरवरी को किला रोड़ स्थित रेगर समाज धर्मशाला में प्रातः 10 बजे मनाई गई। इस दौरान संत गुरू रविदास के छायाचित्र पर माल्यार्पण कर उनको नमन किया ओर सभी ने उनके पदचिह्नों पर चलने का संकल्प लेते हुए विचार गोष्ठी आयोजित की ।
मुख्य वक्ता राष्ट्रीय दलित संघ के उपाध्यक्ष अरूण कंडारा ने संत गुरू रविदास की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि रविदास महाराज के बताये मार्ग पर चल कही जीवन को सही मायने में जीया जाता है। संव रविदास महाराज को शिरोमणि इसलिए कहा जाता है कि अपने समय में विद्वान, ज्ञानी संत महापुरुषों को ज्ञान गोष्ठी में हरा दिया था। जिसके कारण सभी संतों ने संत रविदास को शिरामणि की उपाधि प्रदान कर सतगुरू स्वीकार किया गया। तभी से संत रविदास महाराज को संत शिरोमणि गुरू रविदास कहा जाने लगा। संत रविदास महाराज निर्गुण भक्ति धारा के कवि थे। वे मूर्ति पूजा में विश्वास नहीं रखते थे। उनका मानना था कि ईश्वर निराकार है एवं ईश्वर सृष्टि के कण-कण में विराजमान है। स्वराज की कल्पना करने वाले पहले महापुरुष संत थे। चित्तौड़गढ़ घराने की मीराबाई इनकी शिष्या थी एवं पचास से अधिक राजा-रानी इनके शिष्य रहे। लोकतंत्र का मूलमंत्र देने वाले विचारक सत्गुरू भी संत रविदास महाराज थे। इनका जन्म 1376 ई. में यूपी के वाराणसी में माडुर गांव में माघ पूर्णिमा को हुआ था।
संत रविदास महाराज जात-पात, छुआछुत के विरोधी थे और वसुघैव कुटुम्ब की भावना रखने वाले संत थे। भक्ति आन्दोलन के दौर में ख्वाब देने गये जिनमें अमीर दतवा, बेगमपुरा, रामराज्य। इनका प्रसिद्ध वाक्य था - मन चंगा तो कठौती में गंगा, वो समाज सुधारक थे। इंसान इंसान में भेद करने वाली वर्ण व्यवस्था के विरूद्ध थे। अपनी वाणी से क्रांति करने वाले थे। देश, विदेश में पूरी दुनिया में बहुजन समाज उनको मानते हैं।
इस अवसर पर सेवादल पूर्व जिलाध्यक्ष आशाराम गाडरी, अल्पसंख्यक के पूर्व जिलाध्यक्ष आरीफ कूका, रेगर समाज पूर्व अध्यक्ष मदनलाल ओलड़िया, एससी, एसटी के पूर्व महामंत्री चौधरी देवनारायण लोठ, रेगर समाज कोषाध्यक्ष कैलाश रेगर, किशनलाल रेगर, पूर्व कोषाध्यक्ष श्यामलाल रेगर, कांग्रेस सेवादल पूर्व सचिव कालू गुर्जर, एससी एसटी कांग्रेस महामंत्री विकास आमेरिया, संदीप लोठ, एससी एसटी पूर्व नगर महामंत्री हेमंत गाछा, पटेल निर्मल गोयर, समाजसेवी नंदलाल रेगर, नारायणलाल बुनकर, रतनलाल रेगर, नरेश रेगर, यूथ कांग्रेस के शिवम कंडारा, प्रहलाद पंवार, राकेश बारेसा, चेतन, पवन बुरठ, हिमांशु रेगर, पटेल भंवर सिंगोलिया, पटेल घीसुलाल चंदेला, जयदीप बेनीवाल, हैम्पीसिंह कंडारा, चन्द्रशेखर गोरण, अरविन्द घावरी, दीपक लोठ आदि उपस्थित रहे।
संत रविदास महाराज जात-पात, छुआछुत के विरोधी थे और वसुघैव कुटुम्ब की भावना रखने वाले संत थे। भक्ति आन्दोलन के दौर में ख्वाब देने गये जिनमें अमीर दतवा, बेगमपुरा, रामराज्य। इनका प्रसिद्ध वाक्य था - मन चंगा तो कठौती में गंगा, वो समाज सुधारक थे। इंसान इंसान में भेद करने वाली वर्ण व्यवस्था के विरूद्ध थे। अपनी वाणी से क्रांति करने वाले थे। देश, विदेश में पूरी दुनिया में बहुजन समाज उनको मानते हैं।
इस अवसर पर सेवादल पूर्व जिलाध्यक्ष आशाराम गाडरी, अल्पसंख्यक के पूर्व जिलाध्यक्ष आरीफ कूका, रेगर समाज पूर्व अध्यक्ष मदनलाल ओलड़िया, एससी, एसटी के पूर्व महामंत्री चौधरी देवनारायण लोठ, रेगर समाज कोषाध्यक्ष कैलाश रेगर, किशनलाल रेगर, पूर्व कोषाध्यक्ष श्यामलाल रेगर, कांग्रेस सेवादल पूर्व सचिव कालू गुर्जर, एससी एसटी कांग्रेस महामंत्री विकास आमेरिया, संदीप लोठ, एससी एसटी पूर्व नगर महामंत्री हेमंत गाछा, पटेल निर्मल गोयर, समाजसेवी नंदलाल रेगर, नारायणलाल बुनकर, रतनलाल रेगर, नरेश रेगर, यूथ कांग्रेस के शिवम कंडारा, प्रहलाद पंवार, राकेश बारेसा, चेतन, पवन बुरठ, हिमांशु रेगर, पटेल भंवर सिंगोलिया, पटेल घीसुलाल चंदेला, जयदीप बेनीवाल, हैम्पीसिंह कंडारा, चन्द्रशेखर गोरण, अरविन्द घावरी, दीपक लोठ आदि उपस्थित रहे।