चित्तौड़गढ़ / कपासन - संत शिरोमणि मास्टर का जन्मोत्सव श्रद्धा, भक्ति और आध्यात्मिक उल्लास के साथ मनाया
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सीधा सवाल। कपासन। संत परंपरा के महानतम विभूतियों में शुमार संत शिरोमणि मास्टर श्री हरिराम जी का 109वाँ जन्मोत्सव अत्यंत श्रद्धा, भक्ति एवं दिव्य उल्लास के साथ मनाया गया।यह आयोजन न केवल आध्यात्मिक आस्था का प्रतीक बना, बल्कि भक्तों के लिए आत्मिक ऊर्जा का एक अनुपम अनुभव भी रहा।कार्यक्रम का आयोजन श्री हरिराम जी साहब ट्रस्ट द्वारा बड़े ही सुव्यवस्थित और श्रद्धापूर्ण वातावरण में किया गया। ट्रस्ट सचिव राजेन्द्र कुमार व्यास ने बताया कि प्रातः काल से ही गुरुदेव के असंख्य अनुयायी, भक्तगण एवं श्रद्धालु विभिन्न स्थानों से कपासन पहुंचने लगे।समाधि स्थल को आकर्षक पुष्प सज्जा, दीपों और रंगोलियों से सजाया गया।कार्यक्रम का शुभारंभ प्रातः 11 बजे गुरुदेव की समाधि स्थल पर ध्वजारोहण के साथ हुआ, जिसके पश्चात भक्तों को पवित्र प्रसादी वितरित की गई। इस दौरान भजन-कीर्तन का आयोजन भी हुआ, जिससे वातावरण भक्तिमय हो गया।दोपहर 3:30 बजे विशेष महाभिषेक अनुष्ठान संपन्न हुआ, जिसमें गुरुदेव की समाधि एवं विग्रह का पंचामृत स्नान कराकर पुष्पों, चंदन, इत्र एवं सुगंधित जल से भव्य श्रृंगार किया गया। संत प्रेमियों ने पुष्पांजलि अर्पित करते हुए अपनी श्रद्धा निवेदित की।महाभिषेक के उपरांत नगर में भव्य कलश यात्रा निकाली गई, जिसमें सैकड़ों महिला श्रद्धालु कलश धारण किए हुए भजनों के साथ चल रहीं थीं। शोभायात्रा सांवरिया चौराहे सहित नगर के प्रमुख मार्गों से होती हुई समाधि स्थल पर संपन्न हुई। इस यात्रा में बैंड बाजे, झांकियाँ एवं गुरुवाणी की गूंज ने संपूर्ण नगर को आध्यात्मिक रंग में रंग दिया।संध्या के समय दीपोत्सव का आयोजन किया गया।जिसमें समाधि स्थल को हजारों दीपों से प्रज्वलित कर आलोकित किया गया। इसके बाद भव्य आरती का आयोजन हुआ, जिसमें श्रद्धालुओं की अपार भीड़ ने भाग लेकर वातावरण को भक्तिरस से भर दिया। आरती के पश्चात छप्पन भोग को भव्य रूप में सजाकर दर्शनार्थ प्रस्तुत किया गया। भोग में विविध प्रकार के पारंपरिक व्यंजन, मिठाइयाँ और फल शामिल थे, जिन्हें देखकर श्रद्धालु भाव विभोर हो उठे।कार्यक्रम का समापन गुरु वंदना, कीर्तन और श्रद्धालुओं को महाप्रसादी एवं छप्पन भोग का वितरण कर किया गया। ट्रस्ट सदस्यों, सेवकों और नगरवासियों की अथक सेवा भावना, अनुशासन और समर्पण इस आयोजन को विशेष रूप से सफल और यादगार बनाने में सहायक बने।यह दिव्य आयोजन भक्तों के लिए केवल एक पर्व नहीं, बल्कि गुरुदेव की शिक्षाओं और आध्यात्मिक जीवन दर्शन को आत्म सात करने का पावन अवसर था। इस प्रकार, संत श्री हरिराम जी साहब का 109वाँ जन्मोत्सव कपासन के धार्मिक और आध्यात्मिक इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय बन गया।