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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। विशेष न्यायालय लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 चित्तौड़गढ़ की न्यायाधीश लता गौड़ ने करीब तीन वर्ष पुराने नाबालिग के अपहरण व दुष्कर्म के अभियुक्त को दोषी माना है। न्यायालय ने अभियुक्त को 20 वर्ष के कठोर कारावास और 1,18000 के जुर्माने की सजा से दंडित किया है।
विशेष लोक अभियोजक गोपाल जाट ने बताया कि भूपालसागर थाने में एक महिला ने कालूराम पुत्र रतनलाल गुर्जर निवासी सावंता के विरुद्ध अपनी नाबालिक पुत्री के अपहरण की शिकायत दर्ज कराई। इस पर पुलिस ने कार्रवाई करते हुए अभियुक्त कालूराम गुर्जर को अपहरण व दुष्कर्म के आरोप में गिरफ्तार किया। पुलिस ने अनुसंधान पूर्ण कर इसके विरुद्ध न्यायालय में चालान पेश किया। प्रकरण की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से 13 गवाह और 25 दस्तावेज प्रदर्शित किए गए। इसके आधार पर न्यायाधीश लता गौड ने अभियुक्त को दोषी मानते हुए धारा 363 के तहत 3 वर्ष का कठोर कारावास व 5000 जुर्माना, धारा 366 के तहत 7 वर्ष का करवा व 10 हजार रुपए जुर्माना, धारा 342 के तहत 2 वर्ष का कारावास तथा तीन हजार जुर्माना, धारा 376/ 3 के तहत 20 वर्ष का कठोर कारावास 50 हजार जुर्माना तथा पोक्सो एक्ट की धारा 5(6)/6 के तहत 20 वर्ष का कठोर कारावास 50 हजार रुपए के जुर्माने की सजा से दंडित किया। न्यायालय ने पीड़िता को प्रतिकर राशि के रूप में 200000 दिलाए जाने का भी आदेश दिया है।