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वन विभाग ने खातेदारी जमीन से लाई गई लकड़ी से भरा ट्रक पकड़ा

सीधा सवाल। छोटीसादड़ी। राजस्थान में जहां सरकार वन भूमि से बाहर पेड़ों का आवरण बढ़ाने के लिए 'TOFR Tree Outside Forest' जैसी योजनाओं को बढ़ावा दे रही है, वहीं दूसरी ओर जंगलों से लेकर खातेदार और बिलानाम भूमि तक से बेशकीमती लकड़ी की तस्करी हो रही है। बीती रात छोटीसादड़ी वन विभाग की टीम ने बड़ी कार्रवाई करते हुए नीम और सिरस की लकड़ी से भरा एक ट्रक जब्त किया। उपवन संरक्षक हरिकिशन सारस्वत और सहायक वन संरक्षक विक्रम सिंह राठौड़ के मार्गदर्शन में यह कार्रवाई 'ऑपरेशन वन प्रहरी' के तहत की गई। छोटीसादड़ी रेंजर प्रताप सिंह चुंडावत ने बताया कि बारा की बावड़ी मार्ग पर गुप्त सूचना के आधार पर नाकाबंदी की गई थी। जैसे ही संदिग्ध ट्रक मौके पर पहुंचा, उसे रोका गया और जांच की गई। तलाशी में भारी मात्रा में नीम और सिरस की लकड़ी मिली, जिसकी कीमत लाखों रुपये में आंकी जा रही है। ट्रक को जब्त कर लिया गया है और आगे की जांच जारी है। इस कार्रवाई में वनकर्मी पारसमल धाकड़, कृष्ण प्रताप सिंह, अनील कुमार मीणा, सुरेश मेघवाल, अजय जणवा, दिलीप नायक और अंगराज सिंह ने अहम भूमिका निभाई।
सरकार के नियमों की हो रही अवहेलना
राज्य सरकार ने किसानों को उनकी खातेदारी ज़मीन से बबूल और सफेदा के पेड़ हटाने की छूट दी है, लेकिन अब यही छूट अवैध तस्करी के लिए एक ढाल बन गई है। सूत्रों के अनुसार, प्रतापगढ़ और बांसवाड़ा जिलों से हर दिन 8 से 10 ट्रेलर और ट्रक सफेदा और बबूल की लकड़ी लेकर अहमदाबाद, जोधपुर, जयपुर, अलवर और भिवाड़ी जैसे बड़े शहरों की ओर रवाना हो रहे हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इन व्यापारियों के पास न तहसीलदार की अनुमति है और न ही किसी सक्षम अधिकारी की मंजूरी। अधिकांश आरा मशीनों पर न कोई स्टॉक रजिस्टर है, न ही लकड़ी के स्रोत का कोई वैध दस्तावेज।
दक्षिण राजस्थान में उगने वाले सफेदा और बबूल के पेड़ अब संगठित तस्करी का हिस्सा बन चुके हैं। अधिकतर आरा मशीनें बिना अनुमति के ही बड़ी मात्रा में लकड़ी काट रही हैं और खुलेआम व्यापार कर रही हैं। न कोई निगरानी, न कोई रिकॉर्ड — पूरा तंत्र लाचार दिखाई दे रहा है।
सीमावर्ती क्षेत्र से भी लकड़ी तस्करी
जानकारी में सामने आया है कि इसके अलावा, मध्यप्रदेश से भी तस्कर लकड़ी का परिवहन कर रहे हैं। ये तस्कर सीमावर्ती क्षेत्रों से लकड़ी ले कर राजस्थान के रास्ते जोधपुर और गुजरात में तस्करी कर रहे हैं। यह तस्करी नेटवर्क अब राज्य की सीमा से बाहर भी अपनी पहुंच बना चुका है। लेकिन इसकी विरुद्ध कोई ठोस कार्यवाही नही हो पा रही है।