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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा मंगलवार को खुदरा उर्वरक विक्रेताओं के लिए आयोजित प्रशिक्षण शिविर में मृदा जांच की वैज्ञानिक विधियों की जानकारी दी गई। शिविर में डॉ. रतनलाल सोलंकी, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष, कृषि विज्ञान केन्द्र ने प्रशिक्षणार्थियों को खेत की मिट्टी से नमूना लेने की पूरी प्रक्रिया प्रायोगिक रूप से समझाई। उन्होंने बताया कि खेत की मिट्टी का सही तरीके से नमूना लेकर उसे प्रयोगशाला भेजना अत्यंत आवश्यक है। नमूना लेते समय मिट्टी की गहराई, स्थान का चयन, नमूने को सुखाने व छानने की विधि और लेबलिंग की जानकारी विस्तार से दी गई। लेबल में किसान का नाम, खेत का पता, खसरा नंबर व अन्य आवश्यक विवरण अंकित करना जरूरी है ताकि प्रयोगशाला में जांच सही तरीके से हो सके।
प्रशिक्षण के दौरान डॉ. सोलंकी ने मृदा स्वास्थ्य कार्ड की उपयोगिता पर जोर देते हुए कहा कि यह कार्ड किसान को उसकी भूमि की उर्वरता, पोषक तत्वों की स्थिति तथा आवश्यक सुधारों की जानकारी देता है। इससे किसान अपनी फसल के लिए संतुलित खाद व उर्वरकों का चयन कर सकता है। इस अवसर पर कृषि विभाग के कृषि अनुसंधान अधिकारी (रसायन) विक्रम सिंह बिटू ने भी युवाओं को मिट्टी जांच के वैज्ञानिक महत्व से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि मृदा स्वास्थ्य कार्ड में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश, जैविक कार्बन, पीएच, विद्युत चालकता जैसे कई महत्वपूर्ण पेरामिटर्स की जानकारी दी जाती है। बिटू ने संतुलित पोषण, जिप्सम व हरी खाद के उपयोग से भूमि सुधार, उत्पादन बढ़ोतरी तथा लागत में कमी के उपायों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने युवाओं व किसानों से अपील की कि वे हर फसल की बुवाई से पूर्व मिट्टी की जांच अवश्य करवाएं ताकि उपज में वृद्धि हो और मुनाफा भी बढ़े।