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सीधा सवाल। कपासन। गोविंदपुरा के खोड़ा जी भेरुजी के मंदिर पर भैरव कथा एवं भजन संध्या का आयोजन किया गया। मूंगाणा धाम के संत शिरोमणि महामण्ड़लेश्वर श्री चेतन दास जी महाराज के कृपापात्र शिष्य संत श्री रामपाल जी द्वारा भैरव की उत्पत्ति,भैरव का स्वरूप, भैरव का महत्व एवं भैरव कथा पर प्रकाश डालते हुए विभिन्न भजनों के माध्यम से भैरव कथा की। संत राम पालजी ने कलयुग में सुख शांति समृद्धि के लिए विभिन्न कष्ट निवारण के लिए कलयुग के प्रतिफलों की मुक्ति के लिए भैरव आराधना करने को सर्वोपरि माना है।शिव स्वरूप भैरव की आराधना करने से सभी अभीष्ट सिद्धि प्राप्त होती है। आगे संत श्री ने बताया की भारत के 52 शक्तिपीठों में प्रत्येक शक्ति पीठ पर देवी के साथ साथ भैरव भी अवश्य पूजे जाते हैं। गंगरार के संत श्री सीताराम दास जी ने भी विभिन्न भजनों की प्रस्तुतियां दी। यजमान राहुल खंडेलवाल एवं राघव खंडेलवाल में संत श्री का स्वागत एवं आभार प्रकट किया।