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नियमों से ऊपर हो गए थाना अधिकारी राम सुमेर, समुदाय विशेष के युवक पर अपहरण का आरोप

सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़/ निम्बाहेडा। "साहब वह मेरे घर से मेरी 15 साल की बेटी का अपहरण कर ले गया। रिपोर्ट करने पर घर वालों ने गलत होने की धमकी दी है, कार्रवाई करें।" यह पीड़ा है एक दलित महिला की जो अपनी 15 साल की नाबालिक बेटी के अपहरण के मामले में कार्यवाही की गुहार लगा रही है। लेकिन निंबाहेड़ा कोतवाली थाना अधिकारी राम सुमेर मीणा मानो नियमों से ऊपर हो गए हैं। एक दलित नाबालिक 15 साल की बेटी के अपहरण के मामले में अपने उच्च अधिकारियों के अधिकारों का हनन कर अपनी मनमर्जी से एक उप निरीक्षक स्तर के अधिकारी से जांच करवा रहे हैं। 5 दिन पूर्व दर्ज हुए इस मामले में निंबाहेड़ा कोतवाली थाने में चल रही मनमानी और लापरवाही की पराकाष्ठा हो गई है। हालत यह है कि पुलिस उपाधीक्षक स्तर के जांच का प्रकरण होने के बावजूद ना तो फाइल को अपने उच्च अधिकारी के पास भिजवाया है और ना ही इस मामले में कोई कार्यवाही करते हुए नाबालिक को दस्तियाब कर पाए हैं। पूरे मामले में बड़ी बात यह है कि परिजनों द्वारा समुदाय विशेष के एक युवक के विरुद्ध नामजद मामला दर्ज कराने के बाद भी कोतवाली थाना अधिकारी राम सुमेर मीणा का गंभीर लापरवाही पूर्ण रवैया सामने आया है। बड़ी बात यह है कि मामला उच्च अधिकारियों तक नहीं पहुंचे इसके लिए प्राथमिक ही में पीड़िता के दलित वर्ग से होने के बावजूद उससे संबंधित धाराएं नहीं जोड़ी गई। बल्कि सीधे अपहरण से संबंधित धाराएं जोड़ते हुए मामले को कमजोर बनाने का प्रयास किया गया है। एक ओर जहां प्रदेश की भजनलाल सरकार प्रदेश में दलित और वंचित वर्ग को न्याय दिलाने की कोशिश में जुटी हुई है। वहीं दूसरी ओर समुदाय विशेष के युवक द्वारा नाबालिक दलित बेटी के अपहरण करने जैसे गंभीर मामले में मनमानी कर रहे है। इससे साफ है कि थाना अधिकारी राम सुमेर मीणा अपनी मनमानी करते हुए पुलिस के नाम पर उच्च अधिकारियों के अधिकारों का हनन और कानून व्यवस्था के नाम पर पोपा बाई का राज कायम करने पर आमादा है।
5 दिन पहले हुई रिपोर्ट, नतीजा शून्य
जानकारी के अनुसार निंबाहेड़ा कोतवाली थाने में गत 24 मई को एक दलित महिला द्वारा उसकी 15 वर्षीय नाबालिक बेटी का घर से एक समुदाय विशेष के युवक के विरुद्ध अपहरण कर ले जाने का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज करवाया। दलित बालिका होने के बावजूद दलित अपराध संबंधी धाराओं को बिना जोड़े थाने में प्रकरण दर्ज किया गया और उसकी जांच सहायक उप निरीक्षक स्तर के अधिकारी को सौंप दी गई। 5 दिन बीत जाने के बाद भी पुलिस अब तक नाबालिक को दस्तियाब नही कर पाई है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि दलित अपराध संबंधी मामलों की जांच पुलिस उपाधीक्षक स्तर के अधिकारी द्वारा की जाती है। लेकिन इस मामले में थाना स्तर पर ही मामला दर्ज करते हुए दलित अपराध की धाराओं को रिकॉर्ड पर नहीं लिया गया जिससे कि मामला उच्च अधिकारी के पास जांच के लिए नहीं पहुंचे।
कही 'टाइगर' तो नही बन रहे थानाधिकारी 'रामसुमेर'!
लगातार थाना अधिकारी राम सुमेर मीणा से जुड़े मामले चर्चाओं का विषय बने हुए। लेकिन इस बार सारी हदों को पार करते हुए थाना अधिकारी राम सुमेर मीणा ने अपने उच्च अधिकारी के स्तर का मामला होने के बावजूद फाइल को थाने में रोक कर अपनी मनमानी की है। थाने से पुलिस कर्मी की मोटरसाइकिल चोरी होने के मामले में जहां पुलिस अब तक खाली हाथ है। वहीं अब दलित उत्पीड़न के मामले में मनमर्जी सामने आने से साफ हो गया है कि निंबाहेड़ा कोतवाली थाने के कोतवाल अब जिले के सुपर से भी ऊपर हो गए हैं जो पुलिस महकमें के लिए विचारणीय है। क्योंकि पुलिस के पास ही कानून व्यवस्था और नियमों की पालना का जिम्मा है ऐसे में जो मामला सामने आया है वह साफ करता है कि यहां ना नियम है ना कायदा है बस अपनी मर्जी और अपना फायदा है। यहां यह भी एक बड़ा सीधा सवाल है कि आखिर इस मनमर्जी को किसकी शह मिली हुई है।
'डिप्टी साहब' बाईपास
इस पूरे मामले में जहां जांच और कार्रवाई विभागीय नियमों के अनुसार पुलिस उपअधीक्षक स्तर के अधिकारी के पास जानी चाहिए वही 5 दिन बीत जाने के बाद भी पुलिस उप अधीक्षक निंबाहेड़ा बद्रीलाल राव को इस मामले की जानकारी भी नहीं है। नियमों की बात की जाए तो प्रकरण दर्ज होने के 24 घंटे के भीतर प्रकरण जांच के लिए भेजा जाना चाहिए, लेकिन यहां 5 दिन बीत जाने के बाद भी ना तो कोई कार्यवाही हुई है और ना ही उच्च अधिकारी के पास इस फाइल को भेजा गया है। बल्कि नियमानुसार जांच अधिकारी डिप्टी को बाईपास कर दिया गया है। ऐसे में साफ है कि पूरा मामला दलित अधिकारों के उल्लंघन का है जिस पर कार्रवाई के नाम पर लीपा पोती की जा रही है।
मुझे इस मामले की कोई जानकारी नहीं है दलित संबंधी यदि कोई मामला है तो जांच मेरे पास आनी चाहिए, लेकिन मेरे पास कोई रिपोर्ट नहीं आई है। मैं पता करवा कर बताता हूं।बद्री लाल राव, पुलिस उप अधीक्षक, निंबाहेड़ा
इस प्रकार के मामलों में जांच पुलिस उपाधीक्षक स्तर के अधिकारी के पास होनी चाहिए, साथ ही यदि नाबालिक है तो दस्तियाब करने के बाद उसे बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया जाना चाहिए। जिससे विस्तृत जांच और कार्रवाई हो सके।
डॉ. सुशीला लड्ढा, पूर्व अध्यक्ष बाल कल्याण समिति चित्तौड़गढ़