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सीधा सवाल। बस्सी। पशु पालन को बढ़ावा देने के सरकार के दावों की पोल उस समय खुलती नजर आती है जब बस्सी जैसे बड़े तहसील क्षेत्र में स्थित पशु चिकित्सालय की हालत देखी जाती है। वर्षों से यहां न तो पर्याप्त स्टाफ है और न ही कोई पशु चिकित्सक तैनात है।
जानकारी के अनुसार, बस्सी पशु चिकित्सालय में पिछले चार वर्षों से चिकित्सक की पोस्ट खाली पड़ी है। हालात यह हैं कि जो एकमात्र एलडीसी कर्मचारी नियुक्त है, वह भी पास के गांव पलका में ड्यूटी दे रहा है, और बस्सी में मजबूरी में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाता है।
बस्सी को तहसील का दर्जा प्राप्त है और यहां का पशु पालन क्षेत्र पूरे जिले में सबसे बड़ा है, लेकिन इसके बावजूद यहां दो चिकित्सकों की आवश्यकता के बावजूद एक भी चिकित्सक नियुक्त नहीं है। इससे परेशान पशुपालकों को अपने बीमार पशुओं के इलाज के लिए या तो चित्तौड़ ले जाना पड़ता है या प्राइवेट डॉक्टर बुलाने पड़ते हैं, जो हर किसी के बस की बात नहीं।
चिकित्सालय की इमारत भी बदहाली की स्थिति में है। वर्ष 2009 में बने इस भवन में आज तक कोई मरम्मत या सुधार कार्य नहीं हुआ। बारिश के दिनों में छत से टपकता पानी स्टाफ के लिए मुसीबत बन जाता है। पेयजल की भी कोई व्यवस्था नहीं है।