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सीधा सवाल। कपासन। अंबेश सौभाग्य भवन में आयोजित चातुर्मास प्रवचन में श्रमण संघीय महासाध्वी कंचन कंवर ने धर्म की शिक्षाएं दीं। उन्होंने कहा कि देव, गुरु और धर्म के प्रति सच्ची श्रद्धा रखना ही सम्यक दर्शन है। सम्यक दर्शन से आत्मा की पहचान होती है। साध्वी सुलोचना जी ने सामायिक के दो प्रकार, द्रव्य सामायिक और भाव सामायिक होते है।उन्होंने कहा कि ज्ञान की बात सुनने से धर्म की समझ विकसित होती है। इससे त्याग और प्रत्याख्यान की भावना जागृत होती है। त्याग और प्रत्याख्यान को स्वीकार न करने से कर्मों का बंध होता है। इन्हें अपनाने से कर्मों की निर्जरा होती है।साध्वी सुलक्षणा जी ने बताया कि यहां निरंतर तप, त्याग और धर्म ध्यान की गंगा प्रवाहित हो रही है।इस दौरान मिनाक्षी सिरोया ने आठ उपवास के प्रत्याख्यान लिए। इस अवसर पर तपस्वी बहिन का महिला मंडल की ओर से सम्मान किया गया।धर्मसभा में चेन्नई, ब्यावर, चित्तौड़गढ़, जाशमा, ओर भूपाल सागर से आए सदस्यों का श्रीसंघ ने स्वागत किया। संचालन एसपी सिरोया ने किया।प्रभावना अशोक कुमार ओर सूर्य प्रकाश सिरोया की ओर से रही।एकासन आयंबिल और उपवास की श्रृंखला निरंतर जारी है। महासाध्वी मंडल ने सभी तपस्वियों के प्रति मंगल भावना व्यक्त की।
