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केडर पुनर्गठन की मांग को लेकर कर्मचारियों ने किया पैदल मार्च और नारेबाजी

सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़।
राजस्थान न्यायिक कर्मचारी संघ के प्रदेशाध्यक्ष सुरेन्द्र नारायण जोशी के आह्वान पर चित्तौड़गढ़ जिले के समस्त अधीनस्थ न्यायालयों और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण में कार्यरत न्यायिक कर्मचारी शुक्रवार से अनिश्चितकालीन सामूहिक अवकाश पर चले गए हैं। इस आंदोलन का मुख्य उद्देश्य सामान्य संवर्ग और आशुलिपिक संवर्ग का केडर पुनर्गठन कराना है।अवकाश पर रहने के दौरान न्यायिक कर्मचारियों ने न्यायालय परिसर में पैदल मार्च निकालते हुए जोरदार नारेबाजी की और राज्य सरकार से अपनी मांगें शीघ्र पूर्ण करने की अपील की। कर्मचारियों का कहना है कि राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना दिनांक 25.05.2022 एवं 04.10.2022 के आधार पर केडर पुनर्गठन का प्रस्ताव राजस्थान उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ से पारित कर 06.05.2023 को राज्य सरकार को भेजा जा चुका है। इसके बावजूद सरकार ने अब तक कोई आदेश जारी नहीं किया, जो न्यायिक व्यवस्था और संवैधानिक प्रक्रिया की अनदेखी है।
जिला प्रवक्ता राजेश व्यास ने बताया कि राज्य सरकार की उदासीनता के चलते कर्मचारियों में गहरा असंतोष है। कर्मचारियों की यह मांग है कि लिपिकवर्गीय संस्थापन नियम 1986 में संशोधन कर उन्हें न्यायोचित पदोन्नति और वेतनमान दिया जाए।
इस सामूहिक अवकाश और प्रदर्शन में प्रमुख रूप से इन्द्रजीत छाजेड़, संजय उपाध्याय, संजय इटोदिया, प्रवीण जैन, रमेश पुरोहित, मदन शर्मा, विकास बैरागी, विनोद पानखाणियां, सुनील कौशल, अम्बुज सुहाग, वेदप्रकाश जाटव, मोतीलाल जाट, हरिप्रसाद भाटिया, सुरेन्द्र भाटिया, गोपाल प्रजापत, जगदीप सिरोहिया, पुनीत जैन, रमेशदान चारण, राजेन्द्र पालीवाल, ऋतुराज सिंह राठौड़, श्रीराम मीणा, गोपाल रेगर, राजेश बहादुर, विनोद आचार्य, सुशील तिवारी, अशोक सुखवाल, राजेश माली, योगेश सारस्वत, देवेन्द्र, प्रवीण पोरवाल, प्रकाश कुमावत, निजामुद्दीन, कृष्णा सिन्हा, जूली स्वर्णकार, लता उत्तमचंदानी, ममता, पूर्णिमा गौड़, बिंदु आदि उपस्थित रहे।
