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भंडारे में कई संतों सहित श्रद्धालुओं ने प्रसाद किया ग्रहण

सीधा सवाल। कपासन। श्री सांवलिया धाम आश्रम मुंगाणा के महंत महामंडलेश्वर चेतन दास महाराज के देवलोक गमन के 17वें दिन रविवार को भंडारे और संत सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस अवसर पर राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र से कई प्रसिद्ध संत और हजारों शिष्य पहुंचे। भंडारे में महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग अलग डोम की व्यवस्था की गई।संत चेतन दास महाराज की चरण पादुका को गांव से जुलूस के रूप में आश्रम लाया गया। अंत्येष्ठि स्थल पर विधिवत पूजा के बाद पादुका स्थापित की गई। इसी स्थान पर मंदिर निर्माण का निर्णय लिया गया। वहीं मुंबई से आए माधवाचार्य महाराज ने संत सम्मेलन की अध्यक्षता की।
दोनों शिष्यों को किया उत्तराधिकारी नियुक्त
संत सम्मेलन में चेतन दासजी महाराज के शिष्यों अनुज दास जी और रामपाल दास जी को चादर ओढ़ाकर उत्तराधिकारी नियुक्त किया गया। रामपाल दास जी को नृसिंहद्वारा मुंगाना का महंत और अनुज दास जी को सांवलिया धाम आश्रम का महंत बनाया गया। कार्यक्रम में अहमदाबाद के दिलीप देवाचार्य महाराज, अयोध्या के नृत्य गोपाल दास महाराज समेत कई प्रमुख संत उपस्थित रहे। सभी संतों को यथायोग्य दक्षिणा देकर विदाई दी गई। भंडारे में एक लाख से अधिक लोगों ने प्रसादी पाई।इस दौरान इंदौर के राधे राधे बाबा, पूर्व मंत्री श्री चंद कृपलानी, पूर्व मंत्री उदय लाल आंजना, सांसद सीपी जोशी, विधायक अर्जुन लाल जीनगर, चित्तौड़गढ़ विधायक चंद्रभान सिंह आक्या, बेगूं विधायक सुरेश धाकड़, भूपाल सागर के प्रधान हेमेंद्र सिंह, पूर्व प्रधान मोहब्बत सिंह राठौड़, पूर्व विधायक बद्री लाल जाट, कपासन प्रधान भेरू लाल चौधरी और मावली के पूर्व विधायक धर्म नारायण जोशी, पूर्व कांग्रेस जिलाध्यक्ष शिव दयाल जोशी ने भी दोनों संतों को चादर ओढ़ाकर स्वागत किया। कार्यक्रम के दौरान पुलिस प्रशासन, एनसीसी कैडेट, स्काउट और स्वयंसेवकों ने व्यवस्था में सहयोग किया।
1700 मंदिरों में करवाई थी प्राण प्रतिष्ठा
महामंडलेश्वर चेतन दास मेवाड़ मालवा, गुजरात, महाराष्ट्र और संपूर्ण राजस्थान क्षेत्र के प्रसिद्ध संत थे। उन्होंने लगभग 1700 मंदिरों में प्राण प्रतिष्ठा करवाई। जिसमें कई मंदिरों का निर्माण और जीर्णोद्धार भी करवाया। पिछले 30 वर्षों से कुंभ मेले में संतों और श्रद्धालुओं की सेवा के लिए मेवाड़ मीरा खालसा का संचालन कर रहे थे।गंगरार क्षेत्र के करेडिया में जन्मे महंत का बचपन का नाम गणेश था। बूढ़ गांव के संत बिहारी दासजी से प्रभावित होकर उनकी शरण में चले गए। गुरु के साथ मुंगाणा के नृसिंह द्वारा में रहने लगे। 1961 में संत बिहारी दासजी के देहावसान के बाद उनकी स्मृति में गुरु पूर्णिमा महोत्सव मनाने लगे। प्रयाग कुंभ में चार अनी अखाड़ों के जगदगुरुओं ने उन्हें महामंडलेश्वर की उपाधि से सम्मानित किया। मुंगाणा आश्रम में गो शाला और अन्नपूर्णा भोजन शाला, वेद गुरुकुल का संचालन होता है।
