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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। आयुर्वेद विभाग के डेेली डाटा एंट्री के आदेश से जिले के आयुर्वेद चिकित्सकों में नाराजगी है। विभाग ने राजपत्रित आयुर्वेद चिकित्सकों को मरीजों और दवाइयों की रोजाना ऑनलाइन डाटा एंट्री खुद करने का आदेश दिया। आदेश का पालन नहीं करने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की चेतावनी दी। कुछ जिलों में नोटिस भी जारी हो चुके हैं।
इस आदेश के विरोध में 'आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी संघ' ने मुख्यमंत्री के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा। संघ ने आदेश को अव्यावहारिक और अन्यायपूर्ण बताया। संघ के डाॅ शैलेन्द्र सिंह मंडलोई कहना है कि आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में तैनात आयुर्वेद चिकित्सक पहले से ही कम्युनिटी हेल्थ ऑफिसर का अतिरिक्त कार्य देख रहे हैं। कई चिकित्सक अकेले ही एक दो आरोग्य मंदिरों का काम संभाल रहे हैं। ऐसे में उन पर डाटा एंट्री जैसा लिपिकीय कार्य थोपना अनुचित है। संघ के डाॅ विनोद गंधर्व ने बताया कि सरकारी दिशा-निर्देशों के अनुसार यह कार्य बहुउद्देशीय कार्यकर्ता या नर्सिंग स्टाफ का है। इसके अलावा डाटा एंट्री के लिए जन आधार कार्ड की अनिवार्यता भी बड़ी समस्या बन रही है। कई मरीजों के पास जन आधार कार्ड नहीं होता, जिससे उन्हें परामर्श और दवा वितरण में परेशानी हो रही है। संघ ने मुख्यमंत्री से इस आदेश को तुरंत निरस्त करने की मांग की। उन्होंने कहा कि चिकित्सक अपना पूरा ध्यान चिकित्सा कार्य पर लगाना चाहते हैं, ताकि अधिक से अधिक मरीजों को लाभ मिल सके। इस अवसर पर डाॅ दिपाली देराश्री, डाॅ इंदुबाला श्रृंगी, डाॅ रुचि पुरोहित, डाॅ कोमल ठागरिया, डाॅ प्रियंका मीणा, डाॅ शिप्रा नामा, डाॅ आयुषी निगम,डाॅ अलका, डाॅ सरोज मौड आदि चिकित्साधिकारी उपस्थित थे।
