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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। रामद्वारा चित्तौड़गढ़ में भक्तमाल ग्रंथ अंतर्गत किये जा रहे चौबीस अवतारों के वर्णन में गुरूवार को परशुराम अवतार का प्रवचन हुआ जिसमें मेवाड़ के हरिद्वार मातृकुण्डिया महादेव के महत्व को रमताराम महाराज के शिष्य संत दिग्विजयराम महाराज द्वारा विस्तृत रूप से बताया गया। परशुराम जी के माता की हत्या के पाप से मुक्त होने के कारण ही इस स्थान का नाम मातृकुण्डिया पड़ा। कलयुग में कलकी अवतार का जन्म संभल ग्राम में विष्णुयश नाम के व्यक्ति के घर होगा। कलयुग के अंत में भगवान कलकी का जन्म होगा। भगवान कलकी को परशुराम जी महाराज स्वयं वेद विद्या का ज्ञान प्रदान करेंगे। साक्षात् भगवान शिव अस्त्र, शस्त्र का ज्ञान देंगे। सावन शुक्ला पंचमी के दिन भगवान कलकी का जन्म होगा और धर्म की रक्षार्थ अवतार लेंगे। कलयुग लगभग 4,32,000 वर्ष का है।
चौबीस अवतारों के बाद भगवान वेदव्यास जी महाराज का प्रवचन के दौरान बद्री विशाल धाम में श्रीमद् भागवत कथा का ज्ञान प्राप्त किया। वेदव्यास जी के बाद महाराज पृथु का प्रादुर्भाव हुआ। महाराज पृथु के द्वारा ही प्रदान करने से पृथ्वी माता पर नभ, जल, थल का संचालन हुआ। भगवान पृथु सारा जीवन भगवत ज्ञान में लगाकर अंत में परलोक प्रस्थान करते हैं।
