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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़।
गुलशन गार्डन गुरुवार शाम को मोहम्मद रफ़ी के सदाबहार नग़मों से गूंज उठा। मौका था युवा लोक कला संस्थान द्वारा आयोजित "एक शाम रफ़ी के नाम" कार्यक्रम का, जिसने सुरों के चाहने वालों को सुरमयी सफर पर ले जाकर हर किसी के दिल को छू लिया। खचाखच भरे गुलशन गार्डन में मौजूद श्रोताओं ने हर गीत पर तालियों की गड़गड़ाहट से माहौल को और भी जीवंत बना दिया। कार्यक्रम की शुरुआत रफ़ी साहब की तस्वीर पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन से हुई। मुख्य अतिथि विधायक चंद्रभान सिंह आक्या, एडीएम रावतभाटा विनोद मल्होत्रा, एसडीएम बीनू देवल, संतोष मल्होत्रा, अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक अध्यक्ष आई.एम. सेठिया, विमला सेठिया, वंदना वजोरानी, कल्याणी दीक्षित और दीपक भट्ट सहित अन्य गणमान्य लोगों ने पुष्पांजलि अर्पित की। समर प्रजापत ने "आने से उसके आए बहार" गीत से माहौल बांधा। इसके बाद एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियाँ मंच पर सजीं पद्मेश शर्मा और स्नेहलता पोखरना ने "झिलमिल सितारों का आंगन होगा।राजेन्द्र पालीवाल का "मेरे दोस्त किस्सा ये क्या हो गया।राजेश सिंह राव का "अकेले हैं चले आओ।अफज़ल और ईशा की जोड़ी ने "हो तुमसे दूर रहकर, पुरु पुगलिया ने "मधुबन में राधिका नाचे रे"दिलदार ख़ान का "पूछे जो कोई मुझसे" हेमंत सुहालका और ईशा कंवर भाटी का "जीत ही लेंगे बाजी हम तुम"के.के. शर्मा और संध्या प्रजापत का "बदरा छाए कि हाय आया सावन झूम केडॉ. रमेश राव शिंदे और रेशम भोजवानी ने "पत्ता पत्ता बूटा बूटा",लक्की भाई का "पुकारता चला हूं मैं", राजकुमार सोनी और रेशम की "ओ हसीना जुल्फों वाली", भीलवाड़ा से आए शैरखान ने जब सुपरहिट कव्वाली "पर्दा है पर्दा" गाई तो दर्शक झूमने लगे। वहीं प्रहलाद पाराशर, कैलाश लोट-संध्या, श्याम सुंदर व्यास, विनोद-संतोष मल्होत्रा, ओमप्रकाश-अंजु शर्मा, सैय्यद बशीर पहलवान और अफज़ल ख़ान की प्रस्तुतियाँ भी विशेष रही। गायकों को दर्शकों ने गुलाब और दुपट्टे भेंट कर सम्मानित किया। कार्यक्रम में शहर के प्रतिष्ठित अतिथियों सहित पत्रकार, वरिष्ठ नागरिक, महिलाएं और संगीत प्रेमी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।कार्यक्रम का संचालन के.के. शर्मा ने किया, जबकि आभार डॉ. रमेश शिंदे ने प्रकट किया। साउंड संचालन गोपाल रावत ने संभाला और अतिथियों का स्वागत हेमंत सुहालका ने किया।