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चातुर्मास के दौरान चल रहे जप तप त्याग तपस्या के ठाट

सीधा सवाल। चिकारड़ा। धर्म को समाज से जोड़कर समरसता लाते हुए नए आयाम स्थापित किये जा सकते हैं । धर्म ही समाज की प्राण वायु है । इससे सभी को लाभान्वित होना चाहिए । जिससे अहिंसा परमो धर्म का सूत्र माला में पिरोता रहेगा। उक्त बात स्वाध्यायी समरथ मल ने अपने प्रवचन के दौरान कही । जानकारी में समता संघ के पदाधिकारी द्वारा बताया गया कि समता प्रचार संघ के तत्वधान में चातुर्मास के लिए स्वाध्यायी समरथ मल पामेचा चिकारड़ा स्थित श्री साधुमार्गी जैन श्रावक संघ स्थानक पहुचे । जहां पर उनके द्वारा नियमित प्रवचन दिए जा रहे हैं। प्रवचन में 32 शास्त्रों का सार जिनवाणी के रूप में प्रवचन के माध्यम से श्रवण करवाया जा रहा है यहां यह भी बता दे की भगवान द्वारा बताई की जिनवाणी का विशेष श्रवण करवाकर नए-नए अध्यायों शास्त्रों के साथ विषयों पर चर्चा कर धर्म के प्रति श्रावक श्राविकाओं का ध्यान आकर्षित कर धर्म के प्रति अलग जगाने का कार्य कर रहे हैं। चातुर्मास के दौरान नियमित त्याग तपस्या जप तप जारी है। यहां यह भी बता दे की स्वाध्यायि समरथ मल द्वारा वर्षों से एकांतर वर्षोंतप किया जा रहा है । इसके साथ ही श्रावक श्राविकाओं द्वारा आयंबिल एकासन उपवास के साथ तेला तप किया जा रहा है । यहां यह भी बता दे कि आचार्य रामलाल जी महाराज की अनुकंपा से श्री संघ को नियमित नए-नए आयाम प्राप्त हो रहे हैं । समता प्रचार संघ उच्च श्रेणी के स्वाध्याय तैयार करते रहे है । जो चातुर्मास के दौरान अपने व्यवसाय अपना परिवार छोड़कर दो-दो माह के लिए धर्म का प्रचार करने के लिए स्वाध्याय के रूप में प्रवचन के माध्यम से जिनवाणी का श्रवण करवाते हैं। तथा धर्म के प्रचार में लगे हुए हैं। ऐसा चिकारड़ा में भी श्री संघ के माध्यम से स्वाध्याय द्वारा धर्म का प्रचार प्रसार करते हुए प्रतिदिन प्रवचन दिए जा रहे हैं जिनका श्रवण करने के लिए सैकड़ो श्रावक श्राविकाएं उपस्थित होकर लाभ ले रहे हैं। चिकारड़ा श्री संघ द्वारा बताया गया कि श्री राम गुरु धन्य है जिन्होंने रात दिन मेहनत कर कर इस समाज को एक बुलंदियों तक पहुंचा कर नए आयाम स्थापित किया। इसके साथ ही ऐसे चरित्रवान गुणवान श्रावक श्राविकाएं तैयार किए हैं जो समाज को नई दिशा की ओर ले जाने का कार्य कर रहे हैं।
