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दो सो श्रावक श्राविकाओं ने किया एकासन तप

सीधा सवाल। कपासन। श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ की ओर से महासाध्वी कंचन कंवर जी के सानिध्य में पूज्य गुरुदेव मरूधर केसरी मिश्रीमलजी की 135वीं और लोकमान्य संत पूज्य गुरुदेव रूपचंदजी की 98वीं जयंती मनाई गई। अम्बेश भवन में तप, ध्यान और गुणगान के साथ विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए।वर्षावास कर रहीं महासाध्वी कंचन कवर ने गुरुओं के चरणों में अपने श्रद्धासुमन एवं भावांजलि अर्पित की। उन्होंने दोनों गुरुओं के जीवन पर प्रकाश डाला। साध्वी श्री सुलोचना ने कहा कि मरूधर केसरी पूज्य मिश्रीमलजी और लोकमान्य संत शेरे राजस्थान रूपचंद जी ऐसे महान संत थे जिनकी सेवा व भक्ति भावना की मिसाल सदा बनी रहेगी।साध्वी श्री ने बताया कि दोनों संतों का जीवन सभी के लिए प्रेरणादायी व अनुकरणीय है। उन्होंने परोपकार की भावना से जीवन मानव सेवा व जीवदया के लिए समर्पित किया। उन्होंने न केवल पीड़ित मानवता की सेवा की बल्कि मूक प्राणियों की रक्षा के लिए भी अनुपम कार्य किए।
साध्वी सुलक्षणा श्रीजी ने कहा कि दोनों गुरुदेव गुणों की ऐसी प्रतिमूर्ति हैं कि उनका जितना गुणगान करें कम होगा। जिन पर इन महान संतों की दृष्टि पड़ी और कृपा हुई, उसका जीवन ही बदल गया। उन्होंने हर वर्ग व समाज की सेवा करने के साथ सबको सुख पहुंचाने का कार्य किया।साध्वीजी ने कहा कि इन गुरुओं की जयंती पर सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि हम जीव दया का संकल्प लेते हुए अपने व्यसनों का त्याग करें और जीवन को निर्मल पावन बनाएं।संघ अध्यक्ष सूर्य प्रकाश सिरोया ने बताया कि एकासन करने का लाभ शंकर लाल,अनिल कुमार बोहरा परिवार की ओर से लिया गया। प्रभावना श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ की ओर से थी। कार्यक्रम के अंत में एस पी सिरोया ने सभी पधारे हुए महानुभावों का आभार व्यक्त किया।इस अवसर पर बंसी लाल संचेती, शंकर लाल लोढ़ा, अनिल बाघमार, रंजीत डांगी, शरद चंडालिया, रूप लाल डांगी, अशोक बाफना, शैलेंद्र डांगी, जीवन दुग्गड, बसंती लाल चौहान सुरपुर, शांति लाल सांवला गोरा जी का निंबाहेड़ा, सुशीला संचेती, उगांम बाई चंडालिया, आजाद ढीलीवाल, भावना बोहरा, सपना सिरोया, प्रियंका दुग्गड, सुनीता सांवला, अंगूर बाला सिरोया आदि मौजूद रहे।