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आपसी मारपीट को लेकर दबाव बनाने के लिए सायरन बजाकर दौड़ाई एम्बुलेंस
सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। प्रदेश में रोगियों को तत्काल उपचार मुहैया कराने और रेफर होने की स्थिति में त्वरित सहायता उपलब्ध कराने के लिए 108 एंबुलेंस का संचालन किया जाता है। लेकिन कई बार रेफर होने की स्थिति में नियमों का हवाला देते हुए देरी से एंबुलेंस पहुंचने या एंबुलेंस नहीं पहुंचने की जानकारियां सामने आती है। इन सब के बीच ठेका पद्धति के माध्यम से वाहन चलाने वाले वाहन चालकों और निजी एंबुलेंस संचालक के बीच हुई मारपीट के मामले के बाद ऐसे हालात उत्पन्न हुए जिसे मंगलवार रात शहर के सदर थाना इलाके में सनसनी फैला दी। साइड देने को लेकर हुए विवाद के बाद एक 108 एंबुलेंस संचालक ड्राइवर द्वारा अन्य साथियों को सूचना देने के बाद ऐसी स्थिति हो गई मानो शहर में कोई बड़ा हादसा हो गया है। लेकिन यह पूरा घटनाक्रम महज पुलिस पर दबाव बनाने के लिए होने की जानकारी सामने आई है। अब इस योजना को संचालित करने वाले जिम्मेदार इसे गलत बता रहे हैं लेकिन कार्रवाई करने की हिम्मत भी नहीं जुटा पा रहे हैं। मात्र पुलिस पर दबाव बनाने के लिए देर रात तक सड़कों पर सायरन बजाते हुए 108 एंबुलेंस से जुड़े कार्मिक वाहन दौडाते रहे जिसे जहां सूचना मिली वहीं से वह वहां लेकर सदर थाने के लिए रवाना हुआ और ऐसी स्थिति में आधी रात तक सड़क पर एंबुलेंस के सायरन गूंजते रहे। और देर रात तक लोग एक दूसरे के साथ संपर्क कर घटनाक्रम की जानकारी जुटाने में लग रहे।
यह है मामला
मिली जानकारी के अनुसार मंगलवार को रात्रि लगभग 10:30 बजे हैं एक 108 एंबुलेंस वहां के जरिए मरीज को लाकर चित्तौड़गढ़ के श्री सांवरिया जी राजकीय चिकित्सालय में भर्ती कराया गया और इसके बाद वाहन चालक पायलट द्वारा वहां को इमरजेंसी के बाहर खड़ा कर दिया गया वहीं दूसरी ओर निजी एंबुलेंस भी खड़ी थी। इसी दौरान वाहनों के निकलने के लिए इमरजेंसी के बाहर रास्ता कम पड़ गया तो निजी एंबुलेंस चालक और 108 एंबुलेंस चालक के बीच कहासुनी हो गयी। और बात मारपीट तक पहुंच गई। इसके बाद आपातकालीन सेवा के अंतर्गत चलने वाली 108 एंबुलेंस के चालक ने अपने अन्य साथियों को फोन किया और इसके बाद एकाएक लगातार सायरन बजाती हुई 108 एंबुलेंस का जमघट लगना शुरू हो गया जो चिकित्सालय परिसर से सदर थाने की ओर दौड़ने लगी। सायरन बजाती हुई आधा दर्जन से अधिक एंबुलेंस को देखकर हड़कंप मच गया और किसी गंभीर हादसे की आशंका को लेकर लोग एक दूसरे से संपर्क करने का प्रयास करने लगे लगभग 1 घंटे तक इसी तरह के हालात बन रहे बाद में पुलिस की मध्यस्थता के चलते हैं मामला शांत हुआ। सूत्रों का यहां तक कहना है कि पुलिस पर दबाव बनाकर निजी एंबुलेंस चालक के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए एम्बुलेंस 108 के चालको ने इस तरह की घटना को अंजाम दिया। ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि आपातकालीन स्थिति में प्राथमिकता से जब एंबुलेंस को रास्ता दिया जाता है और ऐसी स्थिति में यदि एंबुलेंस संचालक इस तरह की हरकत करेंगे तो भविष्य में जनमानस में आपातकालीन स्थिति के प्रति अविश्वास उत्पन्न होगा जो मरीज के जीवन के लिए हानिकारक है।
पहले बनाया दबाव नहीं बनी बात तो दौड़ाई एम्बुलेंस
जानकारी में सामने आया है कि निजी एंबुलेंस के चालक जिसके साथ विवाद हुआ था उसकी गिरफ्तारी के लिए दबाव बनाने का प्रयास किया गया लेकिन पुलिस ने रिपोर्ट मिलने और नियमानुसार कार्य करने की बात कही तो 108 एम्बुलेंस चालको द्वारा दबाव बनाने के लिए सायरन बजाते हुए वाहनों को सड़कों पर दौड़ना शुरू कर दिया और आधा दर्जन से ज्यादा एंबुलेंस चालक और उससे जुड़ा स्टाफ सदर थाने में एकत्रित हो गया। सीधे-सीधे पुलिस पर दबाव बनाने के लिए की गई कार्रवाई से भय का माहौल उत्पन्न हो गया और बाद में मामला शांत हो गया लेकिन निजी कारणों से दबाव बनाने के लिए हुए घटनाक्रम को लेकर कोई कार्रवाई नहीं किया जाना सरकारी संसाधन के दुरुपयोग की ओर इशारा करता है। लेकिन इतना होने के बाद भी ऐसे एंबुलेंस चालकों के विरुद्ध कार्रवाई नहीं होना मामले को और गंभीर बनाता है।
ग्राहक सेवा केंद्र से मिलता है नियमों का हवाला
इस पूरे मामले में बड़ी बात यह है कि जब कभी आपातकालीन स्थिति में इमरजेंसी से किसी मरीज को रेफर किया जाता है तो ग्राहक सेवा केंद्र से लेकर एंबुलेंस के चालक तक नियमों का हवाला देते हुए चिकित्सक से बात करने स्टाफ से बात करने का दबाव बनाते हैं। लेकिन एक चालक के साथ हुई मामूलिया मारपीट की घटना के बाद इतने सारे एंबुलेंस वाहनों का एक साथ अलग-अलग क्षेत्र से पहुंच जाना लापरवाही को भी इंगित करता है जहां मरीज के लाभ के लिए नियमों की दुहाई दी जाती है वही कार्मिक के साथ हुई घटना के बाद दबाव बनाने की प्रतिक्रिया मनमर्जी को सीधे तौर पर परिभाषित करती है।
सायरन बजाते हुए वाहनों का सड़कों पर दौड़ना नियम विरुद्ध है। यदि ऐसा हुआ है, तो गलत है।
विनायक शर्मा, प्रभारी एनआरएचएम 108 एंबुलेंस सेवा
हमारे कार्मिक के साथ घटना हुई थी तो जैसे-जैसे सूचना मिली चालक पहुंच गए हालांकि सायरन बजाना और इस तरह की स्थिति उत्पन्न करना नियमों के विपरीत है लेकिन पुलिस ने कार्रवाई नहीं की इसलिए कार्मिकों द्वारा ऐसा किया गया।
अनिल गौड़, एएमई 108 एंबुलेंस सेवा