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अब कॉलेज प्रबंधन करेगा वसूली

मानवेंद्र सिंह चौहान/ सुभाष चंद्र
सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़।
क्रिकेट कमाई का खेल है। अन्य खेलों के अनुपात में क्रिकेट में अधिक प्रसिद्धि प्राप्त होती है ऐसे में इस खेल को लेकर बच्चों और युवाओं में विशेष आकर्षण है। और खेल के इसी जुनून का चित्तौड़गढ़ जिला मुख्यालय पर एक निजी एकेडमी संचालक द्वारा चांदी कूटी जा रही है। जिला क्रिकेट संघ के संसाधन और राजकीय महाराणा प्रताप स्नातकोत्तर महाविद्यालय के खेल मैदान का उपयोग कर अकादमी संचालक द्वारा खेल प्रशिक्षण के नाम पर मोटी कमाई की जा रही है। सालों से राजकीय महाराणा प्रताप स्नातकोत्तर महाविद्यालय के खेल मैदान पर चलने वाली यह खेल प्रशिक्षण की अकादमी फायदे का धंधा साबित हो रही है। ऐसा नहीं है कि पूर्व में इस अकादमी को बंद नहीं करवाया गया लेकिन उसके बावजूद मिली भगत से क्रिकेट संघ के संसाधन और महाविद्यालय के खेल मैदान का उपयोग कर लंबे समय से चांदी कूटी जा रही है। जनप्रतिनिधियों की आड़ लेकर चलने वाले इस कमाई के खेल में हालत यह है कि जन प्रतिनिधियों को इसकी जानकारी तक नहीं है। लेकिन केवल उनके नाम का सहारा लेकर भ्रमित करते हुए अपने फायदे के लिए यह सारा खेल चलाया जा रहा है। अब मामला संज्ञान में आने के बाद महाविद्यालय प्रबंधन इस संचालक से नोटिस के जरिए वसूली की बात कह रहा है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि लंबे समय से चल रहे इस खेल में महाविद्यालय को लगाए गए चुने और विधि विरुद्ध तरीके से महाविद्यालय की संपत्ति का उपयोग करने को लेकर महाविद्यालय द्वारा किस प्रकार की कार्रवाई की जाती है।
यह है मामला
जिला क्रिकेट संघ को लेकर लंबे समय से नियुक्तियों का इंतजार हो रहा है वहीं चुनाव के लिए बनाई गई एडहॉक कमेटी भी चुनाव नहीं करवा पाई है ऐसे में जिला क्रिकेट संघ से प्रशिक्षक के तौर पर क्रिकेट से जुड़े होने का फायदा उठाते हुए प्रशांत चौधरी द्वारा अपने कुछ चहेतों के साथ मिलकर 7 साल पहले न्यू टैलेंट अकैडमी नाम से अकादमी शुरू की गई और क्रिकेट से जुड़े खिलाड़ियों से प्रशिक्षण देने के नाम पर फीस वसूली का खेल शुरू हो गया। सूत्रों का कहना है कि इस अकादमी के लिए संसाधन जहां जिला क्रिकेट संघ के उपयोग किए जाते हैं वही प्रशिक्षण स्थल के रूप में राजकीय महाराणा प्रताप स्नातकोत्तर महाविद्यालय के खेल मैदान का प्रयोग किया जाता है लेकिन महाविद्यालय के विकास में सालों से इस खेल मैदान का उपयोग करने के बावजूद कोई विकास शुल्क जमा नहीं करवाया जाता जबकि लगभग डेढ़ सौ से अधिक विद्यार्थियों से ₹2000 प्रति माह की फीस रसूल की जा रही है ऐसे में लाखों रुपए कमा कर क्रिकेट के नाम पर अपनी जेब भरने का खेल लंबे समय से जारी है। ऐसे में अपने फायदे के लिए सरकारी कॉलेज के खेल मैदान का उपयोग कर राजकोष को जमकर चूना लगाया जा रहा है।
खेल आयोजनों के लिए जमा होता है शुल्क
राजकीय महाराणा प्रताप स्नातकोत्तर महाविद्यालय में समय-समय पर विभिन्न खेल आयोजन होते हैं लेकिन मैदान के रखरखाव और महाविद्यालय के विकास के लिए आयोजन करने वालों द्वारा शुल्क जमा कराया जाता है। जिसकी महाविद्यालय प्रबंधन द्वारा रसीद प्रदान की जाती है। इस राशि का महाविद्यालय के विकास में उपयोग होता है। लेकिन 7 सालों से जिला क्रिकेट संघ की आड़ लेकर इस महाविद्यालय का खेल मैदान अपनी निजी फायदे के लिए उपयोग करने वाले प्रशांत चौधरी और उनके साथियों से आज तक कोई शुल्क नहीं लिया गया। प्रशांत चौधरी के सोशल मीडिया अकाउंट से स्पष्ट है कि कॉलेज के खेल मैदान का अपने अकादमी के लिए लगातार प्रयोग किया जा रहा है लेकिन महाविद्यालय को दी जाने वाली शुल्क की राशि आज तक जमा नहीं करवाई गयी। यदि नियमानुसार राशि की वसूली की जाए तो महाविद्यालय का लाखों रुपए इस अकादमी पर बाकी है लेकिन दूसरी संस्थाएं जो खेल आयोजन करती है उनसे पहले शुल्क लेने वाले महाविद्यालय प्रबंधन को आखिर प्रशांत चौधरी से ऐसा क्या फायदा है जो सालों से लाखों रुपए प्रशिक्षण के नाम पर वसूल करने के बावजूद महाविद्यालय के नियमों में काटे जाने वाली महाविद्यालय विकास की रसीद की राशि नहीं ली गई।
पहले दिया नोटिस फिर कैसे चालू हो गई अकादमी
जानकारी में सामने आया कि पूर्व में महाविद्यालय खेल मैदान में अकादमी चला कर वसूली करने के मामले की जानकारी मिलने पर महाविद्यालय प्राचार्य एच एन व्यास द्वारा संबंधित को नोटिस दिया गया और लगभग 6 महीने तक कॉलेज ग्राउंड पर या अकादमी पूरी तरह से बंद रही लेकिन बीते लगभग दो माह से महाविद्यालय बंद होने के बाद प्रशांत चौधरी द्वारा इस अकादमी का संचालन शुरू कर दिया गया। ऐसे में इस बात की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता की प्राचार्य भले ही इस अवैध वसूली के खेल को बंद करना चाह रहे हैं लेकिन कहीं ना कहीं महाविद्यालय से ही ऐसे लोगों को प्रश्रय दिया जा रहा है। क्योंकि अकादमी संचालक द्वारा इस मामले में नोटिस मिलने के बाद महाविद्यालय संचालन के पश्चात शाम के समय प्रशिक्षण देना शुरू किया गया। ताकि महाविद्यालय के बंद होने के बाद उसके द्वारा चलाए जा रहे हैं वसूली के इस खेल पर किसी प्रकार की कोई बाधा उत्पन्न नहीं हो सके।
मंत्री दक लगातार कर रहे हैं प्रयास
क्रिकेट को बढ़ावा देने और जिले के खिलाड़ियों को अवसर देने के लिए प्रदेश के सहकारिता मंत्री और बड़ी सादड़ी विधायक गौतम दक लगातार इस बात का प्रयास कर रहे हैं कि जिले के क्रिकेट खिलाड़ियों को अवसर मिल सके जिससे जिले की प्रतिभाएं अपनी खेल प्रतिभा का प्रदर्शन कर सके। इसके बावजूद ऐसे लोग जो अपने निजी फायदे के लिए खिलाड़ियों से वसूली में जुटे हुए हैं और राजकोष को भी चूना लगा रहे हैं वह अपनी मनमानी कर रहे हैं।
आखिर कब होगी कार्रवाई और वसूली ?
उल्लेखनीय की अपने सोशल मीडिया के लिए प्रशांत चौधरी द्वारा इस बात का खुद उल्लेख किया गया है कि 7 सालों से अकादमी का संचालन किया जा रहा है और उसके लिए अपनी पोस्ट के साथ उसने चित्तौड़गढ़ राजकीय महाराणा प्रताप महाविद्यालय खेल ग्राउंड में प्रेक्टिस करवाते हुए खिलाड़ियों की खींची गई तस्वीरे भी पोस्ट की है इससे साफ है कि लंबे समय से महाविद्यालय का खेल मैदान प्रशांत चौधरी द्वारा उपयोग किया जा रहा है ऐसे में अब सवाल यह है कि विधि विरुद्ध तरीके से बिना किसी स्वीकृति के महाविद्यालय में अनाधिकृत रूप से व्यावसायिक गतिविधि का संचालन करना और राजकोष को नुकसान पहुंचाने के मामले में महाविद्यालय प्रबंधन कानूनी कार्रवाई कब करता है। क्योंकि यदि ऐसे लोगों के विरुद्ध ठोस कार्रवाई नहीं की जाती है तो महाविद्यालय की प्रतिष्ठा और परिसंपत्तियों को नुकसान पहुंचाने की आशंका बनी हुई है। हालांकि इस मामले में महाविद्यालय प्रबंधन द्वारा कार्यवाही करने की बात कही जा रही है। लेकिन निकालो कब होगी इसे लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है।
अकेला ही खा रहा मलाई या और भी है भागीदार
रंग लगे ना फिटकरी के तर्ज पर अकादमी का संचालन करने वाले प्रशांत चौधरी कि अकादमी को लेकर महाविद्यालय के खेल मैदान के प्रयोग किए जाने से यह संभावना प्रबल है कि अकेले प्रशांत चौधरी द्वारा यह मलाई नहीं खाई जा रही बल्कि और भी लोग इसके संचालन में पर्दे के पीछे शामिल है। ऐसे में वसूली प्रक्रिया शुरू होने के बाद स्पष्ट हो जाएगा की आखिर कौन-कौन लोग हैं जो इस खेल में शामिल होकर चांदी कूट रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि लंबे समय तक डीसीए से जुड़े रहे और भी लोग हैं जो इस अकादमी के परदे के पीछे से भागीदार है। जिनको इस वसूली में से हिस्सा दिया जाता रहा है।
