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लगातार डेयरी को नुकसान पहुंचाने वाले आदेश हो रहे जारी

सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। लगातार चर्चाओं का केंद्र बनी चित्तौड़गढ़ की सरस डेयरी में अधिकारियों की कार्यशैली ऐसी प्रतीत हो रही है मानो किसी न किसी तरह से किसानों के हित के इस उपक्रम को बंद करने की जिम्मेदारी उठा रखी है। हालत यह है कि आए दिन ऐसे ऐसे फरमान जारी किए जा रहे हैं जिनसे सरस के उत्पाद विक्रय करने वाले बूथ संचालकों को परेशान किया जा सके। जहां कार्रवाई की जानी चाहिए वहां कार्रवाई करने के स्थान पर किस प्रकार विपणन को प्रभावित किया जा सकता है इसकी कार्रवाई की जा रही है। इसकी बानगी लगातार जारी हो रहे आदेश में देखने को मिल रही है। एक और जहां शिकायतों पर सुनवाई नहीं हो रही है। वहीं दूसरी और आदेश जारी कर एजेंसी निरस्त करने की धमकी भी दी जाने लगी है। इससे साफ है कि प्रबंधन से जुड़े लोगों द्वारा इस बात के लिए दबाव बनाया जा रहा है कि या तो मनमानी बर्दाश्त की जाए नहीं तो काम छोड़ दे। अंदर खाने सूत्रों का कहना है कि यह सारा खेल मार्केटिंग मैनेजर अरविंद गर्ग के इशारे पर चल रहा है। निजी कंपनी से जुड़ाव और पुराने रिश्ते की रिश्तेदारी भारी पड़ रही है।
यह जारी हुए आदेश
चित्तौड़गढ़ डेयरी में एमडी प्रमोद चारण के हस्ताक्षर से दो अलग-अलग आदेश जारी हुए जिनमे एक आदेश में यह बताया गया है कि किसी भी प्रकार से समस्या होने पर सोशल मीडिया ग्रुप या बाहरी व्यक्ति को जानकारी नहीं दी जाएगी मार्ग के मैनेजर और डेयरी को सूचना दिन और यदि कोई ऐसा नहीं करता है तो उसकी एजेंसी अनुबंध शर्तों के अनुरूप निरस्त कर दी जाएगी। इसी के साथ एक दूसरा आदेश जारी किया गया है जिसमें फटी हुई थैलियां फटा दूध, या खराब सामग्री प्राप्त होने पर उन्हें बदला नहीं जाएगा। इससे साफ है कि जो डेयरी ने भेज दिया उसका भुगतान कर दो ठीक है दोनों की मनमानी के चलते जहां पहले ही परेशानियां कम नहीं है वही ऐसे आदेश कोढ़ में खाज की स्थिति पैदा कर रहे हैं। इसके उलट निजी कंपनियां जो सारस की प्रदेश स्पर्धा में बाजार में अपनी जगह बना रही है वह खराबी की पूरी जिम्मेदारी ले रही है और बदलने की भी व्यवस्था कर रही है लेकिन सरकार के सहकारी संस्था के इस उपक्रम में एक्सपायरी डेट अनुभवी गर्ग के अनुभव के चलते लगातार खपत कम हो रही है लेकिन उसे पर कोई कार्रवाई करने के स्थान पर मामलों को दबाने के लिए दमन की नीति अपनी जा रही है जो संस्था के लिए आत्मघाती है।
चूहों के बिल और मिली गंदगी इज्जत के लिए दबा दी रिपोर्ट
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार लगभग एक से डेढ़ पखवाड़े पहले लगातार कटी हुई थैलियां और बदबूदार दूध प्राप्त होने की शिकायतों पर कार्रवाई नहीं होने से परेशान बूथ संचालकों द्वारा जयपुर में शिकायत की गई थी। इसके बाद जयपुर की एक जांच टीम ने यहां आकर जांच की थी जिस पर यहां चूहों के बिल गंदगी मिली थी। जिसकी रिपोर्ट टीम ने अपने उच्च अधिकारियों को दी लेकिन सरस का नाम बाजार में खराब ना हो इसलिए जानकारी को बाहर नहीं आने दिया गया। इससे साफ है कि यदि इस प्रकार की लापरवाही हो रही है तो न केवल सरस बल्कि आम जन के जीवन के लिए भी हानिकारक है। हाल ही में एक सप्ताह पहले सड़ा हुआ पनीर भेजा गया था जिसको लेकर शास्त्री नगर में जमकर हंगामा हुआ था। इससे साफ है कि न केवल व्यवस्था बल्कि सरस की साख और गुणवत्ता भी खतरे में है। और इसके चलते कहीं ऐसा तो नहीं है कि यह सरस आमजन के लिए नुकसानदायक है।
नाम की एमडी, नाम का पीआरओ, चल रही गर्ग की धांधली !
जिस तरह की परिस्थितियों सरस में सामने आ रही है उसे लगने लगा है कि यहां कार्यवाहक रूप में लगाए गए एमडी पद पर कार्य अधिकारी केवल औपचारिक है जो सप्ताह में एकाध बार आकर नियम विरुद्ध ठेके पर लगाए गए अनुभवी गर्ग की कमाई को हस्ताक्षर कर प्रमाणित करने का काम कर रही है। वही नाम के लिए आनन- फानन में जनसंपर्क अधिकारी बनाए गए विक्रम सिंह सोलंकी भी केवल कागजी कठपुतली साबित हो रहे हैं। जब उनसे जानकारी मांगी जाती है तो एमडी से संपर्क नहीं होने और गर्ग के राती रत्ताई जवाब देने का अतिरिक्त उनका कोई काम प्रतीत नहीं हो रहा है। इससे साफ है कि एमडी धृतराष्ट्र बनकर गर्ग के इशारों की कठपुतली बन गई है। और उनकी कार्यशैली मंत्री गौतम दक की मंशा के विपरीत केवल गर्ग के यस मेन बनने की रह गयी है।
