views
सीधा सवाल। निंबाहेड़ा। जिला चिकित्सालय निंबाहेड़ा में जांच के नाम पर मरीजों की जेब ढीली करवाने के मामले में हुई शिकायत को लेकर प्रमुख चिकित्सा अधिकारी ने जांच के आदेश दिए हैं। अस्पताल में संचालित राजकीय लैब में निजी लैब के लिए सैंपल कलेक्शन के आरोप में लैब सहायक के पद पर कार्यरत इरशाद अहमद गौरी और और उरुस फातिमा के विरुद्ध नगर पालिका निम्बाहेड़ा के वार्ड 18 के पार्षद जगदीश माली की शिकायत पर उपखंड अधिकारी के निर्देश पर प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर कमलेश बाबेल ने तीन दिवस में मामले की जांच रिपोर्ट देने के आदेश जारी किए हैं। वहीं दूसरी और एक अन्य मामले में केथित तौर पर एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें यही कर्मचारी निजी लैब के लिए ब्लड सैंपल लेने और निजी लेब का नाम लेकर भेजने की बात कही जा रही है। सीधा सवाल इस वीडियो की पुष्टि नहीं करता है लेकिन इस मामले में जनप्रतिनिधि की शिकायत के बाद जांच को लेकर आदेश जारी होने के चलते इस बात की संभावना प्रबल हो जाती है कि अस्पताल परिसर में चल रहे बड़े खेल का खुलासा होने की संभावना है।
यह है मामला
जानकारी के अनुसार जिला अस्पताल निंबाहेड़ा में लैब सहायक के पद पर कार्यरत इरशाद अहमद गोरी और उरुस फातिमा के विरुद्ध उपखंड अधिकारी को नगर पालिका निंबाहेड़ा के पार्षद जगदीश माली ने लिखित शिकायत दर्ज करवाई कि अस्पताल की लैब में कार्यरत दोनों सरकारी कर्मचारी अस्पताल के बाहर इसी परिसर में संचालित होने वाली सेम लैबोरेट्री के लिए अस्पताल में सैंपल कलेक्शन का काम करते हैं। शिकायत में उल्लेख किया गया है कि अस्पताल में होने वाली फ्री जांचों के बावजूद मरीजों को भ्रमित कर निजी लैब में भेज रहे हैं जिससे मरीजों को आर्थिक नुकसान हो रहा है शिकायत में दोनों कार्मिकों को विरुद्ध कार्रवाई की मांग की गई है।
सालों से कार्यरत है कार्मिक
जानकारों का कहना है कि यह दोनों कार्मिक लंबे समय से निंबाहेड़ा चिकित्सालय में कार्यरत है और बताया जा रहा है कि अस्पताल परिसर में बनी दुकानों में संचालित सेम लैबोरेट्री से दोनों कार्मिको का सीधा संबंध है। सूत्रों का यहां तक कहना है कि सरकारी चिकित्सालय में कार्य कर रहे दोनों कार्मिक ही इस निजी लैब का संचालन करते हैं और सरकारी अस्पताल में होने का फायदा उठाते हुए मरीजों को भ्रमित कर निजी लाभ के लिए निशुल्क होने वाली जांचों के लिए भी मोटी रकम वसूल करते हैं। अंदर खाने चर्चा यह भी है कि इस मोटी कमाई के खेल में कई रसूखदार भी जुड़े हैं क्योंकि पार्षद द्वारा की गई शिकायत में उल्लेख किया गया है कि इस संबंध में पूर्व में भी शिकायत की गई है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई है।
वायरल वीडियो और लिखित शिकायत की बिना कमेटी के हो रही जांच
पूरे मामले में जानकारी में यह भी सामने आया है कि इस घटनाक्रम से जुड़ा एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। हालांकि इस वीडियो की पुष्टि नहीं हो पाई है लेकिन वायरल वीडियो के बाद लिखी शिकायत को लेकर प्रकरण सीधे तौर पर सरकारी अस्पताल में कार्यरत कार्मिकों के निजी लाभ से जुड़ा हुआ है। एक ओर जहां केंद्र और राज्य सरकार स्वास्थ्य सेवाओं में लगातार बढ़ोतरी कर निशुल्क स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने की ओर अग्रसर है वहीं दूसरी ओर सरकारी अस्पताल में कार्यरत कार्मिकों द्वारा निजी लाभ के लिए काम करने के मामले में एकलचिकित्सक की कमेटी बनाया जाना समझ से परे है। जानकारों का कहना है कि ऐसे मामलों में बोर्ड बनाकर जांच की जाती है जिसमें संबंधित विभाग के अतिरिक्त अन्य विभाग के कार्मिकों को शामिल करते हुए जांच की जाती है जिससे कि पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच हो सके लेकिन इस पूरे मामले में लैब से जुड़े कार्मिकों की शिकायत के लिए इस विभाग के चिकित्सक को जांच दी गई है। मरीज को नुकसान पहुंचाने के इस गंभीर मामले में जिला स्तर से उच्च अधिकारियों की कमेटी बनाकर जांच किए जाने के बाद वायरल वीडियो की सत्यता और कार्मिकों की मिली भगत के साथ ही बड़े खेल का भी खुलासा हो सकता है। बताया जा रहा है कि मामला जिला स्तर के अधिकारियों के भी संज्ञान में लाया गया है जिससे कि जिला स्तरीय जांच कमेटी के जरिए पूरे मामले के खुलासे के साथ ही दोषी पाए जाने पर कार्मिकों के विरुद्ध कार्रवाई की जा सके।