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चित्तौड़गढ़ में बोले प्रज्ञानंद सरस्वती महाराज, भगवान सांवलिया सेठ के लिए दर्शन
सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। जगतगुरु शंकराचार्य द्वारका शारदा एवं ज्योतिष पीठाधीश्वर स्वामी प्रज्ञानंद सरस्वती महाराज ने मंगलवार की भगवान सांवलिया सेठ के दर्शन किए। बाद में वे चित्तौड़गढ़ पहुंचे। यहां उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा कि हमारी विशेष मांग रहती है कि भारत व पाकिस्तान धर्म के आधार पर बने। जो लोग यहां पर रह गए वह एक मात्र अतिथि के रूप में मात्र रहे हैं। राष्ट्र के लिए निर्णय करने का अधिकार किसी को नहीं होना चाहिए। अतिथि आता है उसे खिलाया-पिलाया जाता है। अतिथि के रूप में रहे और यहां के संसाधनों का उपयोग करें, कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन राष्ट्र का निर्णय तो यहां के मूल निवासी जिनका अधिकार है उनको ही करना चाहिए। उन्होंने कहा कि संवैधानिक पदों में ऐसे लोग हो जो वास्तव में राष्ट्र के लिए सोचते हो, राष्ट्र की विचारधारा वाले हो ऐसी हमारी संकल्पना है। स्वामी प्रज्ञानंद सरस्वती महाराज ने आगे कहा कि भारत धर्म प्रधान देश है और आप सभी जानते हैं यहां पर प्रत्येक व्यक्ति धर्म के आधार पर ही निर्णय करता है। हमारा वह धर्म है जो किसी को डिवाइड नहीं करता है। मारता भी नहीं है। हम सिर्फ हिंदू-मुस्लिम को धर्म नहीं कहते। हम जीवन की पद्धति को धर्म कहते हैं। ऐसे भारतवर्ष में हम चाहते हैं कि सारे विश्व के लिए एक ऐसा वातावरण पैदा हो जो ज्ञान के स्वरूप को सारे विश्व को देने वाला और सारे विश्व में शांति हो। एक अभ्युदय की नई दिशा देने वाला हो। वर्तमान स्थिति में राष्ट्र के सामने एक बड़ी विभीषिका है। वह यह है कि लोग सिद्धांतों से, विचारों से राष्ट्र के प्रति, धर्म के प्रति, सनातन के प्रति जो दुराग्रह का भाव रख रहे हैं ऐसे लोगों के प्रति हमारी चिंता है।
पहले राष्ट्र सर्वोपरि होना चाहिए
उन्होंने कहा कि हम चाहते हैं कि राष्ट्र राजनीति से ऊपर, राजनीतिक विचारों से ऊपर है। पहले राष्ट्र सर्वोपरि होना चाहिए। जहां तक भारत की बात है, इसका निर्माण तो धर्म के आधार पर ही हुआ है। तो हम धर्म की दृष्टि से भी विचार करते हैं तो इसमें क्या अतिरेक्त हैं। हम तो वह धर्म के विषय में विचार कर रहे हैं, जो सभी के लिए कल्याण करने वाला है। हम तो सभी को अपना मान रहे हैं।
सांवलिया सेठ के किए दर्शन
चित्तौड़गढ़ पहुंचने से पहले जगतगुरु शंकराचार्य द्वारका शारदा एवं ज्योतिष पीठाधीश्वर स्वामी प्रज्ञानंद सरस्वती महाराज सांवलियाजी मंदिर पहुंचे। यहां पुजारी ने उपारना ओढ़ा कर स्वागत किया। साथ ही चरणामृत दिया। भगवान सांवलिया सेठ के दर्शन कर अभिभूत हुवे।