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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। हर्षोल्लास के साथ लुइस ब्रेल का 217 जन्म दिवस मनाया गया। प्रमोद कुमार दशोरा अतिरिक्त जिला परियोजना समन्वयक, समग्र शिक्षा, चित्तौड़गढ़ ने बताया कि समग्र शिक्षा चित्तौड़गढ़ की समावेशी शिक्षा एवं दृष्टिहीन क्रीड़ा परिषद अजमेर के संयुक्त तत्वावधान में ब्रेल लिपि के आविष्कारक लुई ब्रेल का जन्म दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। साथ ही हेमेन्द्र कुमार सोनी संदर्भ व्यक्ति ब्ॅैछ की नवाचारी पहल के अन्तर्गत शिक्षा विभाग एवं दृष्टिहीन क्रीड़ा परिषद अजमेर को जोडते हुए इस दिवस का आयोजन व जिले में राजकीय विद्यालयों में सेवारत दृष्टिबाधित शिक्षको को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम राजस्थान राज्य भारत स्काउट-गाइड जिला मुख्यालय चित्तौड़गढ़ द्वारा सेवापूर्ण शिक्षकों के आवासीय शिविर में आयोजित किया गया। दृष्टिहीन क्रीड़ा परिषद अजमेर के संयुक्त सचिव लक्ष्मी लाल स्वर्णकार ने बताया की परिषद एवं शिक्षा विभाग का राजस्थान में संभवतया यह प्रथम प्रयास है। संयुक्त रूप से आयोजित इस आयोजन के मुख्य अतिथि प्रमोद कुमार दशोरा मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी एवं जिला परियोजना समन्वयक समग्र शिक्षा चित्तौडगढ व कार्यक्रम की अध्यक्षता आलोक सिंह राठौड़ प्रधानाचार्य तथा विशिष्ट अतिथि चन्द्र शंकर श्रीवास्तव सीओ स्काउट के सानिध्य में हुआ। प्रथम सरस्वती पूजन, तत्पश्चात् लुई ब्रेल के छाया चित्र पर पुष्प अर्पित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया गया। लक्ष्मी लाल स्वर्णकार द्वारा अतिथियों को उपरणा धारण कराकर स्वागत किया गया। इस अवसर पर संभगियों के लिए ब्रेल लिपि को लेकर एक संगोष्ठी भी आयोजित की गयी। जिसमें अतिथियों के साथ अनुसुया सिद्ध ने पत्र वाचन किया। इसी के साथ प्रिया खराडी, गंगा सेन, उषा बलाई आदि सेवा पूर्व छात्राध्यापिका ने अपने लुई ब्रेल एवं ब्रेल लिपि के विकास पर अपने विचार रखे। सम्मान समारोह से पूर्व उपस्थित सेवापूर्व शिक्षकों को इसके जन्म 4 जनवरी 1809 से लेकर एक घटना में ऑख का जख्मी होना व शैन-शैन दृष्टि का समाप्त होना, विद्यालय में प्रवेश लेने व ब्रेल लिपि के आविष्कार तक की जानकारी साझा की। वर्तमान में समग्र शिक्षा द्वारा दृष्टिबाधितों को शिक्षा से जोडने के लिए राजस्थान स्कूल शिक्षा परिषद जयपुर द्वारा किये गये प्रावधानों पर प्रकाश डाला गया।
मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी ने अपने उद्बोधन में कहा कि विशेष आवश्यकता वालों के प्रति हमारे में सकारात्मक दृष्टि जाग्रत होनी चाहिए तभी इनके शैक्षिक पुनर्वास हेतु सभी के संयुक्त प्रयासों से ही शिक्षा के लक्ष्य को प्राप्त कर पायेंगे। यह भी बताया की इस दिवस पर दृष्टिबाधित शिक्षकों को सम्मानित करना समाज के सम्मुख एक सकारात्मक पहल है। उद्बोधन की श्रृखंला में चन्द्र शंकर श्रीवास्तव सीओ स्काउट एवं आलोक सिंह राठौड ने भी अपने विचार व्यक्त किये।
इस अवसर लक्ष्मी लाल स्वर्णकार उपप्रधानाचार्य नाहरगढ भदेसर, विनोद शिल्पकार बेंगू, सत्यनारायण वैष्णव व्याख्याता कांटूण्दा बेंगू, प्रमोद कुमार चित्तौड़गढ़, सलमा बानो चित्तौड़गढ़, नारायण जाट भूपालसागर को मेवाडी पाग, शॉल, उपरणा, श्रीफल से सम्मानित किया गया। इस मौके पर लुई ब्रेल को समर्पित केक भी काटा गया।
इन शिक्षकों ने अपने जीवन संघर्ष पर प्रकाश डालते हुए सफलता का यात्रा वृत्तान्त भी सुनाया और उपस्थित संभागियों से आशा व्यक्त की कि विद्यालयों में आने वाले दिव्यांगों के साथ पूर्ण मनोयोग से कार्य कर समाज में उनके सामाजिक, आर्थिक पुनर्वास तक सहयोग प्रदान करेंगे। ऐसा होने पर समावेशी समाज की कल्पना साकार होगी।
कार्यक्रम का संचालन हेमेन्द्र कुमार सोनी एवं आभार एडल्ट लीडर ट्रेनर चतर सिंह ने व्यक्त किया।
इस अवसर पर प्रशिक्षक सत्यनारायण सोमानी, रेखा कुमावत, संगीता ओझा, रोवर पवन माली, स्काउट भगत, रेंजर, रमेश चन्द्र सेन, सम्मानित हुए शिक्षकों के परिवाजन आदि उपस्थित रहें।