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सीधा सवाल। बेगूं। अखिल भारतीय गौ रक्षा महासंघ राजस्थान और श्री बजरंग गौ रक्षा दल बेगूं के कार्यकर्ताओं द्वारा सोमवार को मुख्यमंत्री के नाम उपखंड अधिकारी मनस्वी नरेश को ज्ञापन सौंपा गया। ज्ञापन में बताया गया कि राजस्थान में हिन्दुओं कि आबादी लगभग 85 प्रतिशत है जो सनातन धर्म में विश्वास रखते है। सनातन संस्कृति में गौमाता को माता का दर्जा दिया गया है। वेद में गौ माता को "गावो विश्वस्य मातर:" कहा गया है और गौ सेवा को हिन्दु धर्म में सबसे पवित्र अनुष्ठानों में से एक माना गया है। हिन्दू धर्म के अनुसार गाय में 33 कोटि देवी–देवताओं का वास होता है। उनके उत्पादों में ओषधीय गुण है। सनातन धर्म में पंचगव्य को महा औषधी माना गया है, जो कि औषधीय गुणों की खान है। पंचगव्य कई रोगों में लाभदायक है। पंचगव्य का निर्माण गाय का दुध, दही, घी, मूत्र और गोबर द्वारा किया जाता है। पंचगव्य द्वारा शरीर के रोगों को दूर किया जाता है। ऐसा कोई रोग नहीं है जिसका ईलाज पंचगव्य से न किया जा सकें। बताया गया कि चित्तौड़गढ़ जिला अध्यक्ष पृथ्वीराज सिंह ने बताया कि राजस्थान में देसी नस्ल की गाय को राज्य माता घोषित करने की मांग को लेकर एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। गौ माता के संरक्षण हेतु राजस्थान में भी देसी नस्ल के गाय को राज्य माता घोषित किया जाए। महाराष्ट्र सरकार ने पहले ही देसी नस्ल की गाय को राज्य माता का दर्जा दे दिया है। अब राजस्थान में भी इसी दिशा में कदम उठाया जा रहा है। यह एक स्वागत योग्य कदम है और उम्मीद है कि सरकार इस मांग पर जल्द ही कार्रवाई करेगी। गौमाता को राज्य माता का दर्जा मिलने पर लोग उनका लालन–पालन करेंगें और गौमाता रास्तों पर बेसहारा नही मिलेगी। ज्ञापन में मांग की गई कि जनमानस में गौमाता के प्रति आस्था को देखते हुये राजस्थान में भी देशी नस्ल की गाय (गौमाता) को राज्य माता घोषित करने किया जाए। इस दौरान गौ रक्षा महासंघ और श्री बजरंग गौ रक्षा दल के कार्यकर्त्ता उपस्थित थे।