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सीधा सवाल। छोटीसादड़ी में होलिका दहन के दूसरे दिन यादव समाज ने पूरे हर्षोल्लास के साथ होली का त्योहार मनाया। इस अवसर पर समाज के सदस्य एकत्रित हुए और फागुन के रसिया गीतों की धुनों में खोकर रंगों का आनंद लिया। पारंपरिक रसिया गीतों ने समारोह में खास रंग घोल दिया, जिनके साथ समाज के लोग सामूहिक रूप से नृत्य करते हुए होली की मस्ती में डूब गए।
समाज के लोग इस दौरान शोकाकुल परिवारों के घर भी पहुंचे, जहां उन्होंने एक दूसरे को रंग लगाकर उनके दुःख में सहभागी होने का संदेश दिया। यादव समाज के वरिष्ठ सदस्यों ने इस अवसर पर समाज में एकता और भाईचारे को बढ़ावा देने की आवश्यकता की बात की। उनका कहना था, "होली केवल रंगों का पर्व नहीं है, यह प्रेम, एकता और सामूहिकता का प्रतीक है। इस दिन हम अपने दिलों के रंगों को साझा करते हैं।"
समाज ने इस दिन को केवल रंगों से ही नहीं, बल्कि अपनी सांस्कृतिक धरोहर से भी जीवित किया। साथ ही, इस दिन विभिन्न प्रकार के स्वादिष्ट पकवानों का आनंद भी लिया गया। होली के गीतों और संगीत ने पूरे माहौल को रंगीन बना दिया, और समाज के हर सदस्य को एक साथ झूमने पर मजबूर कर दिया।
