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सीधा सवाल। छोटीसादड़ी। नगर में कबूतरों को अपने बच्चों जैसा स्नेह देने वाले, जीवदया के प्रतीक 90 वर्षीय रोडीलाल जटिया अब इस दुनिया में नहीं रहे। शुक्रवार सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली। उनका संपूर्ण जीवन पक्षियों, विशेषकर कबूतरों की सेवा में समर्पित रहा। उनके निधन की खबर फैलते ही पूरे नगर में शोक की लहर दौड़ गई। स्थानीय लोगों ने नम आंखों से उन्हें अंतिम विदाई दी।
रोडीलाल जटिया सिर्फ अपने घर तक ही सीमित नहीं थे। वे नगर की गलियों, बाजारों, मोहल्लों में घूम-घूम कर लोगों से कबूतरों के लिए दाना एकत्रित करते थे। कोई उन्हें मुठ्ठीभर अनाज देता, तो कोई थैला भर कर। वे मुस्कुरा कर स्वीकार करते और उसे सेवा का माध्यम मानते। लोगों को भी यह विश्वास था कि उनका दिया हुआ दाना सही जगह पहुँचेगा। उनकी यह दिनचर्या वर्षों तक बिना रुके चली। यहां तक कि उम्र बढ़ने के बावजूद वे अपनी झोली लेकर दाना एकत्रित करने निकलते रहे। यह कार्य उनके लिए सिर्फ एक आदत नहीं, बल्कि जीवन का उद्देश्य बन चुका था। उनकी अंतिम यात्रा उनके निजी आवास से निकली, जिसमें नगर के गणमान्य नागरिकों सहित बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए।