चित्तौड़गढ़ - किसानों को रुला रहे तरबूज-खरबूज, बरसात से बिक्री घटी तो उत्पादन बढ़ा, औंधे मुंह गिरे भाव
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उपज को मंडी में लाने का किराया तक नहीं निकल रहा, खाद-बीज के भाव निकालना हुआ मुश्किल

सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। जिले में गत दिनों हुई बे मौसम बरसात एवं अंधड़ ने कई किसानों को रुला दिया है। गर्मी के इन दिनों में अमूमन तरबूज एवं खरबूज की खेती की जाती है। लेकिन बरसात के कारण किसानों को काफी नुकसान उठाना पड़ा है। बरसात के कारण बिक्री में कमी आ गई तो वहीं सिंचाई अच्छी हो जाने से उत्पादन बढ़ गया। ऐसे में होलसेल सब्जी मंडी में खरबूज और तरबूज बहुत ही सस्ते दामों पर बिक रहे हैं। किसानों को अपनी इस फसल का लागत मूल्य तक नहीं मिल पा रहा है। वहीं जिन वाहनों में फसल मंडी में लेकर आते हैं उनका किराया भी नहीं निकल रहा है। इसकी बानगी रविवार को ही देखने को मिली है, जिसमें सस्ते दाम पर किसानों को तरबूज बेचने पर मजबूर होना पड़ा है।
जानकारी के अनुसार मई माह में ही बेमौसम बरसात हुई है। तेज अंधड़ के साथ बरसात का दौर कई दिनों तक चला। इससे तापमान में भी उतार चढ़ाव रहा है। गर्मी के मौसम में अमूमन तरबूज एवं खरबूज की खेती होती है। गर्मी से बचने के लिए लोग इनका खूब उपभोग करते हैं। जिले में कई बांध एवं तालाब हैं, जिनके पेटे में तरबूज एवं खरबूज के खूब पैदावार होती है। गत मानसून में कई जलाशय लबालब भर गए थे। ऐसे में इनके पेटे में किसानों ने काफी बुवाई की हुई है। फसल पक कर तैयार हुई और बिक्री का समय आया तो किसानों के साथ चोट हो गई। मई माह की शुरुआत से ही जिले के कई क्षेत्रों में बरसात होना शुरू हो गई। बरसात का क्रम भी ऐसा रहा कि सुबह से अपराह्न तक तेज धूप पड़ती तथा शाम होने से पहले ही तेज अंधड़ के बाद बूंदाबांदी शुरू हो जाती। सब्जी सहित तरबूज वा खरबूज की खरीदारी शाम के समय ही होती है। ऐसे में लोग तरबूज एवं खरबूज की खरीदारी नहीं कर पाए। बरसात का क्रम लगातार चलने से खेतों में सिंचाई अच्छी हो गई और उत्पादन बढ़ गया। इसका असर यह हुआ कि बाजार एवं मंडी में तरबूज एवं खरबूज के ढेर लगने शुरू हो गए तथा भाव में कमी आ गई। इसका असर सीधा किसान की जेब पर गया है। किसान को बहुत ही कम लागत पर तरबूज एवं खरबूज बेचने पड़ रहे हैं। ऐसे में तरबूज एवं खरबूज की फसल इस बार किसानों को रुलाने लगी है। खेतों से तरबूज एवं खरबूज को होलसेल मंडी तक लाने में भी काफी मेहनत लगती है। इसका कारण है कि इस फसल में काफी वजन होता है, जिन्हे बड़े लोडिंग वाहनों से ही लाया जा रहा है। ऐसे में किराया भी काफी लग रहा है।
दो हजार था किराया, 2600 में खाली हुआ ट्रैक्टर
मंडी में इन दिनों तरबूज एवं खरबूज की होलसेल बिक्री का आलम यह है की आवक ज्यादा हो रही है। रविवार को ही एक किसान को काफी नुकसान उठाना पड़ा। तरबूज से भरा हुआ एक ट्रैक्टर मात्र 2600 से 3000 रुपए के बीच में बिका, जबकि किसान के खेत से मंडी तक तरबूज लाने का किराया ही 2000 बन गया। ऐसे में किसान का किराया ही नहीं निकला। ना तो उसे उसकी मेहनत मिली और ना ही मुनाफा। किसान को उल्टा नुकसान हो गया।
खुदरा भाव में महंगे बिक रहे तरबूज एवं खरबूज
इधर, जानकारी में सामने आया है कि तरबूज एवं खरबूज बाजार में रिटेल में काफी महंगे बिक रहे हैं। वही होलसेल मंडी में इनके भाव बहुत ही कम है। ऐसे में जो थड़ी या दुकान लगा कर व्यापार कर रहे हैं उन्हें तो इस फसल में अच्छा मुनाफा हो रहा है। लेकिन मेहनत करने वाले किसान को कहीं ना कहीं नुकसान उठाना पड़ रहा है
वर्जन... मंडी में इन दिनों तरबूज एवं खरबूज की आवक बढ़ गई है। गत दिनों हुई बरसात के कारण इनका उठाव नहीं हो रहा है तथा उत्पादन ज्यादा हो गया। इससे मूल्य में कमी आई है और कहीं ना कहीं किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसके विपरीत बाजार में तरबूज एवं खरबूज अनुपात में काफी महंगे बिक रहे हैं।
किशोर धाकड़, होलसेल व्यवसाई, कृषि मंडी चित्तौड़गढ़