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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। संत रमता राम जी के परम शिष्य श्रद्धेय संत दिग्विजय राम जी का 25वां दीक्षा दिवस मंगलवार को जापान के टोयामा शहर में श्रद्धा और भक्ति के वातावरण में मनाया गया। इस अवसर पर संत दिग्विजय राम जी के साथ 84 श्रद्धालुओं का एक दल भारत से जापान की 9 दिवसीय आध्यात्मिक यात्रा पर पहुंचा है। संत दिग्विजय राम जी ने 27 मई 2001 को संत रमता राम जी से दीक्षा ली थी। इसी उपलक्ष्य में 27 मई 2025 को जापान में भव्य दीक्षा महोत्सव का आयोजन किया गया। समारोह में जापान में निवास कर रहे भारतीय प्रवासियों ने संत रमता राम जी और संत दिग्विजय राम जी का भावभीना सम्मान किया।
टोयामा शहर में हुए सत्संग कार्यक्रम में श्रद्धालुओं ने भक्ति रस में सराबोर होकर सत्संग का लाभ लिया। इस दौरान संत दिग्विजय राम जी ने 'सर्वे भवन्तु सुखिनः' का संदेश देते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना को विश्वभर में फैलाने के लिए प्रतिबद्ध है।
बचपन से ही लिया वैराग्य, 8 वर्ष की उम्र में ली थी दीक्षा
संत दिग्विजय राम जी का जन्म इंदौर में हुआ। मात्र 8 वर्ष की अल्पायु में उन्होंने संत रमता राम जी से दीक्षा ली थी। उनकी प्रारंभिक शिक्षा चित्तौड़गढ़ के विद्या निकेतन स्कूल में हुई। इसके बाद उन्होंने श्री केसरिया जैन गुरुकुल से 12वीं तक शिक्षा प्राप्त कर राजस्थान बोर्ड में मेरिट सूची में स्थान बनाया। संत रमता राम जी के मार्गदर्शन में उन्होंने दर्शनाचार्य की उपाधि दिल्ली यूनिवर्सिटी की जयपुर शाखा से प्राप्त की तथा बाद में अंग्रेज़ी विषय से एम.ए. भी किया। संत दिग्विजय राम जी अब तक लगभग 20 देशों में सत्संग एवं प्रवचन कर भारतीय संस्कृति और हिंदू धर्म की पताका फहरा चुके हैं। उन्होंने प्रवास के दौरान भारतीय समुदाय को आध्यात्मिक मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी है। दीक्षा दिवस पर उपस्थित भक्तों और प्रवासियों ने संत श्री को शुभकामनाएं दीं और उनके सान्निध्य में आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त की। सभी ने संत श्री के दीर्घायु और विश्व कल्याण हेतु प्रार्थना की।