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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। जिला मुख्यालय पर मानवता को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई, जहां एक कलयुगी मां ने अपने नवजात बच्चे को छोड़ने का मानस बना दिया। लेकिन सुखद बात यह रही कि कलजुगी मां ने जिगर के टुकड़े को कही फेंकने के बजाय राजकीय संप्रेक्षण एवं किशोर गृह (बाल कल्याण समिति) में लगे पालना गृह में छोड़ दिया। इससे अब नवजात की परवरिश बाल कल्याण समिति की और से की जाएगी।
जानकारी में सामने आया कि शहर के पंचवटी स्थिति बाल कल्याण समिति में उसे समय खुशी की लहर दौड़ पड़ी जब परिसर में लगे पालना गृह की घंटी बजी। पहली बार पालना गृह की घंटी बजने से एक बार तो सदस्य चौंक गए। इसके बाद समिति कार्यालय में मौजूद सदस्यों ने जब पालना गृह में जाकर देखा को नवजात की किलकारी गूंज रही थी। नवजात बच्चे को तुरंत चिकित्सालय ले जाया गया। यहां बच्चें का स्वास्थ्य परीक्षण करने पर स्वस्थ पाया गया। चिकित्सकों जांच में यह भी सामने आया कि 4 से 5 दिन का यह नवजात है। इस नवजात को राजकीय किशोर संप्रेषण गृह के अशोक सेन की और से परिवरिश के लिए बाल कल्याण समिति अध्यक्ष प्रियंका पालीवाल को सुपुर्द किया गया। यहां बच्चे का लालन पालन किया जाएगा। अब तक नवजात बच्चों को उनके कलयुगी अभिभावकों द्वारा जिला चिकित्सालय में स्थित पालना गृह में छोड़ा जा रहा था। लेकिन ऐसा पहली बार हुआ कि बाल कल्याण समिति परिसर में बने पालना गृह में किसी नवजात का परित्याग हुआ है। पहली बार नवजात की किलकारी गूंजने से समिति सदस्यों में उत्साह का माहौल है। उनका मानना है कि पहले नवजात को झांड़ियो मेें मरने के लिये छोड़ दिया जाता था, लेकिन पालना गृह बनने के बाद लोगों में जागरूकता आने से नवजात को पालना गृह में छोड़ने से उनको नया जीवन दान मिल रहा है। इस मौके पर समिति की सदस्य सीमा भारती, शिव दयाल लखावत, ओम प्रकाश लक्ष्यकार, नीता लौठ मौजूद थे।
पालना लगाने लक्ष्य हुआ पूरा, नाम रखने लक्ष्य
बाल कल्याण समिति की अध्यक्ष प्रियंका पालीवाल ने बताया कि मार्च 2022 में यहां बाल कल्याण समिति परिसर में पालना लगाया गया था। इसमें लक्ष्य था कि नवजात को कोई इधर-उधर नहीं फेंके तथा सुरक्षित परित्याग हो। तीन साल बाद पालना गृह स्थापित करने का लक्ष्य पूरा हुआ है। ऐसे ने समिति बालक का नाम लक्ष्य रखने पर विचार कर रही है।