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मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और निदेशक आयुर्वेद विभाग को भेजा गया ज्ञापन

सीधा सवाल। प्रतापगढ़। आयुष्मान भारत योजना के अंतर्गत राज्य सरकार द्वारा विभिन्न आयुर्वेदिक अस्पतालों को आयुष्मान भारत स्वास्थ्य और कल्याण केंद्र के रूप में परिवर्तित किया गया है। लेकिन इस व्यवस्था को लागू करने के बाद अब व्यावहारिक समस्याएं सामने आने लगी हैं। इन्हीं मुद्दों को लेकर आयुर्वेद चिकित्सकों ने एक ज्ञापन मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और निदेशक आयुर्वेद विभाग को भेजा है। यह ज्ञापन जिला कलेक्टर प्रतापगढ़ के माध्यम से मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव तक पहुंचाया गया, वहीं निदेशक आयुर्वेद विभाग अजमेर को यह ज्ञापन उपनिदेशक आयुर्वेद प्रतापगढ़ के माध्यम से प्रेषित किया गया। ज्ञापन में बताया कि एएचडब्ल्यूसी केंद्रों पर लैब टेक्नीशियन, एमपीडब्ल्यू और डेटा ऑपरेटर जैसे आवश्यक स्टाफ की भारी कमी है। ज्ञापन में बताया कि कई स्थानों पर शौचालय, पेयजल, प्रतीक्षा कक्ष, बिजली और फर्नीचर जैसी मूलभूत सुविधाएं भी नहीं हैं।
प्रभारी आयुर्वेद चिकित्सकों से सीएचओ का कार्य करवाया जा रहा है। चिकित्सकों को डीआईएमएस और रिपोर्टिंग जैसे गैर-चिकित्सकीय कार्यों में उलझाया जा रहा है, जिससे उनके मूल चिकित्सकीय कार्य बाधित हो रहे हैं।
सभी एएचडब्ल्यूसी केंद्रों पर शीघ्र पूर्ण स्टाफ एवं संसाधन उपलब्ध कराए जाएं। डीआईएमएस जैसे तकनीकी कार्यों के लिए अलग से डेटा ऑपरेटर की नियुक्ति हो। जब तक डेटा ऑपरेटर नहीं मिलते, तब तक यह कार्य नर्सिंग स्टाफ या अन्य सहायक स्टाफ से करवाया जाए।
प्रभारी चिकित्सकों से सीएचओ का कार्य लेना रोका जाए और इसके लिए संविदा आधारित प्रशिक्षित सीएचओ ही नियुक्त किए जाएं। आयुर्वेद चिकित्सकों का कहना है कि अगर इन समस्याओं का जल्द समाधान नहीं किया गया तो आयुर्वेद चिकित्सा सेवाएं बुरी तरह प्रभावित होंगी और सरकार की योजना का लाभ आमजन तक सही रूप में नहीं पहुंच पाएगा।