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सीधा सवाल। कपासन। तीन दिवसीय विलक्षण दार्शनिक प्रवचन और रस संकीर्तन का आज भव्य समापन हुआ। अंतिम दिन के प्रवचन में रासेश्वरी देवी जी ने गुरु महिमा, गुरु की पहचान, गुरु की शक्तियों और नवधा भक्ति जैसे गूढ़ विषयों पर विस्तृत प्रकाश डाला, जिससे उपस्थित श्रद्धालु भाव विभोर हो गए।
गुरु महिमा और गुरु की पहचान
देवी जी ने गुरु को ईश्वर प्राप्ति का अनिवार्य साधन बताते हुए कहा कि बिना गुरु के सच्चा ज्ञान संभव नहीं है। उन्होंने गुरु की पहचान के लिए कुछ विशेष लक्षण बताए, जैसे कि गुरु का निष्काम, निस्वार्थ और केवल ईश्वर से प्रेम करने वाला होना। उन्होंने कहा कि एक सच्चा गुरु ही शिष्य के अज्ञान को दूर कर उसे ज्ञान के मार्ग पर ले जाता है और ईश्वर की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है। देवी जी ने समझाया कि गुरु के चरणों में रहकर ही व्यक्ति का अज्ञान दूर होता है और उसे परम ज्ञान की प्राप्ति होती है, जो अंततः ईश्वर प्राप्ति की ओर ले जाती हैं। अपने प्रवचन में रासेश्वरी देवी जी ने नवधा भक्ति का महत्व समझाया और इसे भक्ति मार्ग का आधार बताया। उन्होंने साधकों को प्रेरित करने के लिए कई महान भक्तों और संतों के उदाहरण प्रस्तुत किए, जिनकी कहानियां सुनकर श्रद्धालु भक्ति मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित हुए।प्रवचन के समापन पर, देवी जी ने एक विशेष घोषणा करते हुए बताया कि कपासन में साधकों के लिए तीन दिन की साधना क्लासका आयोजन किया जाएगा। यह घोषणा सुनकर श्रद्धालुओं में उत्साह की लहर दौड़ गई। उन्होंने भारत और विदेशों में संचालित हो रहे अपने 200 से अधिक साधना सेंटर्स के बारे में भी जानकारी दी, जहाँ साधक नियमित रूप से आध्यात्मिक अभ्यास कर सकते हैं।कार्यक्रम में विशेष रूप से उपस्थित श्री 1008 चेतन दास जी महाराज के उत्तराधिकारी अनुज दास जी महाराज और रामपाल जी महाराज ने माँ रासेश्वरी देवी का सम्मान पूर्वक साधु सत्कार किया। इसके प्रत्युत्तर में माँ रासेश्वरी देवी ने भी दोनों महंतों को शाल और उपरना ओढ़ाकर उनका सत्कार और सम्मान किया।तीन दिनों तक चले इन प्रवचनों ने कपासन के आध्यात्मिक वातावरण को भक्तिमय बना दिया। रासेश्वरी देवी जी के दार्शनिक विचारों और मधुर संकीर्तन ने उपस्थित जनमानस को आत्म-चिंतन और ईश्वर प्रेम की ओर अग्रसर किया। जिससे यह आयोजन अत्यंत सफल रहा हैं।
