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निम्बाहेड़ा।
शांति नगर स्थित नवकार भवन में आयोजित धर्मसभा को संबोधित करते हुए जैन संत मुनिश्री युगप्रभ जी महाराज साहब ने कहा कि जीवन का निर्माण केवल चर्चा या बातों से नहीं, बल्कि पुरुषार्थ से होता है। वर्तमान समय में मनुष्य परिश्रम तो करता है, किंतु वह परिश्रम जीवन-निर्माण के लिए नहीं, केवल जीवन-निर्वाह के लिए होता है।
उन्होंने कहा, "संपर्क से संस्कार बनते हैं, संस्कारों से आचार बनते हैं, आचार से विचार बनते हैं और विचारों से ही व्यक्तित्व का निर्माण होता है। जैसे-जैसे हमारे विचार होते हैं, वैसा ही हमारा जीवन बन जाता है।" मुनिश्री ने यह भी कहा कि पानी की एक बूँद जब मिट्टी पर गिरती है तो वह उसे कोमल बना देती है, जब गरम तवे पर गिरती है तो भाप बन जाती है; जब साँप के मुंह में पड़ती है तो विष बन जाती है; और यदि सीप में गिरती है तो मोती बन जाती है। इसी प्रकार, मनुष्य जिस संपर्क में आता है, वैसा ही उसका जीवन आकार लेता है।
*मित्रता दिवस पर विशेष विवेचन*
मुनि श्री ने मित्रता को जीवन का अभिन्न अंग बताते हुए कहा, "मित्रता को मजबूत बनाने के लिए समय पर सहना आवश्यक है। जैसे उड़ती पतंग को समय पर डोर दी जाती है, वैसे ही समय पर सहने से मित्रता गहरी होती है। दीपक चाहे मिट्टी का हो या सोने का, उसका मूल्य प्रकाश से तय होता है। उसी प्रकार मित्र चाहे गरीब हो या अमीर, उसका मूल्य इस बात से है कि वह कठिन समय में कितना साथ देता है।"
उन्होंने आगे कहा, "जो मोहल्ले को महकाए वह इत्र होता है, और जो जीवन को महकाए वह मित्र होता है।" आज के समय में मित्र उस सरोवर और पक्षी की तरह हो गए हैं जो प्यास लगने पर आते हैं और पानी पीकर उड़ जाते हैं। जबकि पहले के मित्र मोमबत्ती और धागे की तरह होते थे, जो एक-दूसरे के दुख में जलते और जुड़ते थे।
मुनिश्री ने श्रीकृष्ण और सुदामा की मित्रता का उल्लेख करते हुए कहा, "जब सुदामा द्वार पर पहुँचे और द्वारपालों से कहा कि "कन्हैया से कह दो, द्वार पर सुदामा आया है" तब उनका आत्मीय स्वागत हुआ।" मुनिश्री ने कहा, "जीवन में केवल "थाली मित्र", "ताली मित्र" और "प्याली मित्र" नहीं, बल्कि "माली मित्र" होना चाहिए, जो जीवन को पुष्पित और पल्लवित करे।"
धर्मसभा में पैसठिया छंद का जाप आयोजित किया गया, जिसके लाभार्थी अमर सिंह एवं श्रीमती कुसुम देवी बया परिवार, उदयपुर रहे।
सभा में मंदसौर, नीमच, रायपुर, भीलवाड़ा, जावद, उदयपुर, पारसोली, चित्तौड़गढ़ आदि स्थानों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु श्रावक-श्राविकाएं उपस्थित रहे। प्रवचन सभा के अवसर पर वीरेंद्र जैन, मंदसौर द्वारा प्रभावना वितरित की गई।
सभा में हेमंत कोठारी (भीलवाड़ा), प्रकाश (श्रीमान, रायपुर) एवं वीरेंद्र जैन (मंदसौर) ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए। कार्यक्रम का संचालन शुभम छाजेड़ द्वारा किया गया।
