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कांग्रेस के लगातार गिरते जनाधार से बौखलाए डोटासरा- विधायक कृपलानी
सीधा सवाल। निम्बाहेड़ा।
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता पूर्व नगरीय विकास मंत्री व निम्बाहेड़ा से विधायक श्रीचंद कृपलानी ने कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा द्वारा विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी को लेकर दिए गए बयानों की कड़े शब्दों में निंदा की है। कृपलानी विवादित बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसे निंदनीय और संसदीय मर्यादाओं की घोर अवहेलना बताया है। कृपलानी ने ने स्पष्ट किया कि विधानसभा कोई निजी स्थान नहीं बल्कि लोकतंत्र का मंदिर है। यहाँ होने वाली प्रत्येक गतिविधि जनता के हित में होती है और पूरी पारदर्शिता के साथ उसका प्रसारण किया जाता है। निजता की दुहाई देना संसदीय परंपराओं की अज्ञानता का परिचायक है। कृपलानी ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष के चरित्र पर अंगुली उठाना, ये कांग्रेस की ओछी मानसिकता को दर्शाता है। स्पीकर सरंक्षक होता है, एक सम्मानजनक पद है, उस आसन पर बैठने वाला एक गार्जियन होता है। उस पर आरोप लगाना, बेहद ही शर्मनाक है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के सवालों का जवाब विधानसभा अध्यक्ष दे चुके, लेकिन विधानसभा में पूरी तरह फेल हो जाना, जनता के मुद्दे नहीं उठा पाना और केवल हंगामा करना ही इनका मकसद रह गया है। डोटासरा भूल गए कि विधानसभा में इनके वरिष्ठ नेता राजस्थान को मर्दों का प्रदेश बताते है, इनकी सरकार के समय राजस्थान महिला अपराध में नंबर वन पर पहुंच गया था, अब ये अनर्गल बयानबाजी करके सिर्फ सुर्खियां बटौर रहे है।
कृपलानी ने कहा कि कांग्रेस के द्वारा बार-बार वोट चोरी और ईवीएम हैकिंग जैसे झूठे और भ्रामक आरोपों को खारिज करते हुए कांग्रेस के इतिहास की याद दिलाई। उन्होंने कहा कि वोट चोरी की शुरुआत खुद पंडित नेहरू के समय में हुई थी, जब 1952 में मौलाना आज़ाद के हारने के बावजूद मतपेटी से छेड़छाड़ कर जिताया गया। यह कांग्रेस की खानदानी परंपरा रही है, फिर चाहे वह इंदिरा गांधी द्वारा सरकारी तंत्र के दुरुपयोग का मामला हो या आज राहुल गांधी द्वारा बार-बार चुनाव आयोग पर प्रश्नचिह्न लगाना। उन्होंने कहा कि कितने आश्चर्य की बात है कि सोनिया जी 1980 में मतदाता बना दी गई थी, जबकि सोनिया जी ने भारत की नागरिकता ही 1983 में ली थी।
कृपलानी ने कहा कि 1984 के बाद से कांग्रेस का जनाधार लगातार गिरा है। 2014 में यह ऐतिहासिक रूप से निम्न स्तर पर पहुंच गई। अब जब कांग्रेस चुनाव हारती है, तो वे चुनाव आयोग, ईवीएम, वोटिंग प्रक्रिया, हर एक पर सवाल खड़ा करते हैं, लेकिन जब चुनाव जीतते हैं, तब सब कुछ सही लगता है। यह दोहरा चरित्र अब जनता भली-भांति समझ चुकी है।