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पथ संचलन में मिलाई कदमताल

सीधा सवाल। बड़ीसादड़ी। नगर मे स्वामी विवेकानंद जयंती के उपलक्ष्य मे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बड़ीसादडी का विराट शौर्य शतकम पथ संचलन 2025 नगर मे निकला जिसमे सेंकड़ो स्वयंसेवकों ने कदमताल करते हुए मंत्रमुग्ध कर दिया। संघ का ये पथ संचलन ठीक समय पर नगर के कृषि उपज मंडी से प्रारम्भ हुआ जो रेलवे स्टेशन होते हुए झाला मन्ना सर्कल, घंटाघर से शोभनाथ बाजार से रावला चौक होते हुए कृष्ण वाटिका से प्रताप चौक से धांधवा रोड से कानोड़ दरवाजा से बालिका विद्यालय के परिसर मे समाप्त हुआ। संघ के खण्ड संघचालक चौथमल जणवा ने बताया कि संचलन के अंत मे बौद्धिक पाथेय हुआ जिसमे चित्तोड़ विभाग कार्यवाह दिनेश चंद्र भट्ट ने स्वामी विवेकानंद की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि संघ ने 100वे वर्ष में प्रवेश किया है 99 वर्षों की यात्रा में उपेक्षा, उपहास, विरोध, स्वीकरोक्ति सभी देखा है। जितना संघ का विरोध हुआ है विश्व में किसी संगठन का नहीं हुआ, आज समाज के सहयोग से देश में 72000 शाखाएं, 43000 मिलन के माध्यम से व्यक्ति निर्माण का कार्य देश भर में चल रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का प्रारंभ से ही वैचारिक अधिष्ठान भारत माता को विश्व गुरु बनाना रहा है। संघ संस्थापक डॉ केशवराव बलिराम हेडगेवार के जीवन का परिचय देते हुए बताया की डॉ हेडगेवार का जन्म नागपुर सामान्य वेदपाठी परिवार में हुआ था, बाल्यकाल में पिताजी माताजी के निधन के कारण परिवार पर आपदाओं का पहाड़ टूट पड़ा, परन्तु उन्होंने अत्यधिक परिश्रम करके एमबीबीइस की डिग्री प्राप्त की, कोलकता के मेडिकल कॉलेज से इनकी प्रथम नियुक्ति ब्रह्म देश मे हुई परन्तु डॉक्टर जी ने पूरी विनम्रता से उस नौकरी को करने से इंकार करते हुए कहा कि मैं नौकरी की बजाय भारत माता की सेवा मे अपना जीवन लगाऊंगा। परम पूजनीय डॉक्टर ने अपने जीवन काल में राष्ट्र की स्वतंत्रता के लिए सामाजिक, धार्मिक, क्रांतिकारी व राजनैतिक क्षेत्रों के सभी संगठनों और आंदोलन से जुड़े रहे। उन्होंने राष्ट्र की अवनति के तीन प्रमुख कारण बताएं जिसमें आत्म विस्मृत समाज, आत्म केंद्रित व्यक्ति, सामूहिक अनुशासन का अभाव इसके समाधान के लिए उन्होंने विचार किया। हिंदू समाज में नहीं अपितु हिंदू समाज का संगठन करना आवश्यक है क्योंकि संगठित समाज ही सबल समाज बनेगा इसी के लिए विजयादशमी 1925 को संघ की स्थापना हुई थी। 1936 मे राष्ट्र सेविका समिति की स्थापना से लेकर वर्तमान मे 40 प्रकार के विविध क्षेत्र के संगठन समाज परिवर्तन का कार्य कर रहे है। संघ वर्तमान मे विश्व का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन है, यहाँ शुद्ध सात्विक प्रेम हमारे कार्य का आधार है। संघ का कार्य व्यक्ति निर्माण है जो संघ की प्रतिदिन की शाखा के माध्यम से व्यक्ति निर्माण का कार्य देशभर मे चल रहा है। हम सभी स्वयंसेवकों को चंद्रशेखर आजाद, भगतसिह के जीवन से प्रेरणा लेते हुए इस भारत माता के परम वैभव के लक्ष्य की ओर बढ़ना चाहिए। विभाग कार्यवाह ने अपने उद्बोधन मे बताया कि संघ के इस शताब्दी वर्ष मे पंच परिवर्तन के लक्ष्य को लेकर समाज के बीच कार्य कर रहा है जिसमे पहला कार्य सामाजिक समरसता का है, हम सभी को मिलकर समरस समाज का निर्माण करना है, दूसरा स्व का भाव जगाना ज़ब तक हम समाज मे स्व का भाव नहीं जगायेंगे तब तक सनातन संस्कृति, स्वभाषा, स्व धर्म का जागरण जैसे भावो को जगाना है, अंत मे नागरिक शिष्टाचार का पालन करना चाहिए, हमें हमारे परिवार मे बाल मन मे ही स्वदेशी, कुटुंब प्रबोधन जैसी बातो को उतारना है जिससे इस शताब्दी वर्ष मे पंच परिवर्तन के साथ देश की सज्जन शक्ति का सहयोग लेकर हमें 2047 के भारत को विवेकानंद के सपनो का भारत, डॉ हेडगेवार के सपनो का भारत बनाना है।
