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सीधा सवाल। चिकारड़ा। मंगलवाड़ निंबाहेड़ा राजमार्ग पर चिकारड़ा के सांवलियाजी चौराहा के निकट बस स्टैंड के समीप बीच रास्ते में बन रहे बड़े गड्ढे में बुधवार को एक पशु आहार का भरा ट्रैक्टर पलटी खा गया । गनीमत रही कोई हताहत नही हुआ। ट्रैक्टर के पलटी खाने के क्षण ही एक बाइक सवार बद्री लाल खंडेलवाल ट्रैक्टर के पास से गुजरा गनीमत रही की कोई हादसा नहीं हुआ। ग्रामीण रामेश्वर लाल खंडेलवाल ने बताया कि इस गड्ढे को लेकर कई बार अधिकारी वर्ग से लेकर राजनेता तक को अवगत करवाया जा चुका है। लेकिन हालात जस के तस बने हुए हैं। बरसात के दिनों में गड्ढे में पानी भरने से इसकी गहराई का पता नहीं लग पाता और कार बाइक ट्रक अंदर गिरकर जहां एक और वाहनों को नुकसान पहुंचता है वही दो पहिया वाहन चालकों को चोटे भी लगती रही है । यही नहीं शनिवार रात्रि 10:00 बजे भी एक पंजाब पासिंग ट्रक इसी गड्ढे में गिरकर नुकसान करा बैठा। ग्रामीणो इस बात को लेकर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि जिस मार्ग पर टोल लगा हुआ हो और वाहन चालक के साथ ग्रामीण परेशान होते रहे। ऐसी स्थिति में तुरंत प्रभाव से टोल को बंद करना चाहिए। उन्होंने यह भी बताया कि मानव की कीमत क्या टोल से कम है। आरएसआरडीसी के अधिकारी वर्ग के साथ राजनेता इस रोड पर प्रतिदिन गुजरते रहते हैं। यहां तक मंत्री भी इस मार्ग से सैकड़ो बार गुजर चुके होंगे। लेकिन वाहन चालकों के साथ ग्रामीणों की व्यथा सुनने वाला कोई नहीं है। निंबाहेड़ा मंगलवाड़ राजमार्ग टोल व्यवस्था मात्र 10 साल के लिए शुरू की गई थी। लेकिन 5 दशक के बाद भी अब तक निरंतर टोल वसूल किया जा रहा है। यह बात अब तक किसी भी ग्रामीण के समझ से परे हैं। आखिर 10 साल वाला टोल वसूली केंद्र एक दशक के लिए लागू किया गया था लेकिन 5 दशक तक भी जारी है। ऐसा किस कारण से किया जा रहा है इसका जवाब देने वाला कोई नहीं है। ग्रामीण देवीलाल ने बताया कि राजमार्ग पर टोल वसूली के बाद उसका रखरखाव भी करना होता है लेकिन किसी भी प्रकार का कोई भी रखरखाव निंबाहेड़ा से मंगलवाड़ राजमार्ग पर नहीं देखा गया जगह-जगह गड्ढे बनने से बरसात के दिनों में पानी भर जाता है और ग्रामीण उसमें गिरकर चोटिल होता रहा है। ऐसे हादसों में कई ने अपने हाथ पैर तूड़ाएं तो कई वाहन भी चोटिल होते हुए दुर्घटनाग्रस्त हुए हैं। चिकारड़ा के सांवलिया जी चौराहा बस स्टैंड पर बना गहरा गड्ढा तथा रोड कई बार बनाया गया लेकिन घटिया बनाने के कारण बनने के कुछ ही दिनों बाद पुन: इस स्थिति में आ जाता है। यह सारी जानकारी राजमार्ग के अधिकारियों को होने के बाद भी इस पर ध्यान नहीं देना सरकार के काम पर सवालिया निशान खड़ा करता है। की जानकारी के बावजूद भी कार्य नहीं करना लापरवाही का नतीजा है। इस लापरवाही के चलते ग्रामीण एक और टोल देने पर मजबूर है वही दूसरी और रोड पर बने गड्ढे में अपनी जान गवाने तक को तैयार है। लेकिन फिर भी इस बात का किसी भी राजनेता मंत्री विभागीय अधिकारी को भी मलाल नहीं है। यह बात जग जाहिर है कि उक्त मार्ग को स्वर्ण चतुर्भुज योजना से जोड़ा जा रहा है जिसके लिए विभागीय कार्यवाही जारी है लेकिन प्रश्न यहां उठना है कि जब तक फोर लाइन का कार्य नहीं चल जाता तब तक इस मार्ग पर टोल वसूला जा रहा है तो इस मार्ग पर रिपेयरिंग की व्यवस्था भी राजमार्ग अधिकारियों एवं टोल ठेकेदारों को करनी चाहिए। निंबाहैड़ा से लेकर मंगलवाड़ तक ना तो कोई संकेत तक बने हुए हैं ना गड्ढे पर रिपेयरिंग है। नाही स्पीड ब्रेकर पर कोई सफेद पट्टी बनी हुई है। जहां-जहां से ग्राम से रोड गुजरता है वहां दोनों और नालियां भी नहीं होने से पूरा पानी रोड पर बहकर आता है। जिस भी ग्रामीण परेशान है। ग्रामीण किशनलाल ने बताया कि ऐसी में बैठकर कार्य को अंजाम देने के बजाय धरातल पर उसकी समय टू समय सुध लेनी पड़ती है। टोल वसूलना अलग बात है और कार्य करवाना अलग बात। जब टोल लिया जा रहा है तो मार्ग भी सुव्यवस्थित सुदृढ़ रूप से बन रहे इसके लिए आरएसआरडीसी भी उतना ही जवाबदार है। ग्रामीणों ने उक्त मार्ग पर तुरंत प्रभाव से रिपेयरिंग करवा कर ग्रामीणों को राहत दिलाने की मांग की। अगर जल्द ही ऐसा नहीं किया जाता है तो ग्रामीण लंब बंद होकर मार्ग जाम करेंगे जिसकी समस्त प्रकार की जिम्मेदारी राजमार्ग अधिकारियों की रहेगी।
निंबाहेड़ा मंगलवाड़ राज मार्ग पर रोड के मध्य गड्डा लंबे समय से बना हुआ है इसमें आये दिन वाहन के साथ ग्रामीण चोटिल हो रहे है।
ग्रामीण, रामेश्वर लाल खंडेलवाल चिकारड़ा
मंगलवार निंबाहेड़ा राजमार्ग सांवलिया जी चौराहा के निकट बने गड्ढे में बुधवार को ट्रैक्टर पलटी खाया जिसमें में बाल बाल बचा
बद्री लाल खंडेलवाल, राहगीर चिकारड़ा
सांवलिया जी चौराहा पर रोड7 के मध्य बने गड्ढे में शनिवार को भी एक ट्रक फस गया जिससे उसके अस्ति पंजर टूट गए। पूरी रात्रि उसे ट्रक को यहीं रुकना पड़ा। इन गढ़ों को शीघ्र भरवाने की व्यवस्था करावे
भेरुलाल गुर्जर, सामाजिक कार्यकर्ता, चिकारड़ा