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सीधा सवाल।निम्बाहेड़ा ।राजस्थान संस्कृत अकादमी एवं श्री कल्लाजी वेदपीठ एवं शोध संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित सप्त दिवसीय वैदिक संस्कार शिविर श्री कल्लाजी वेदपीठ एवं शोध संस्थान में संपन्न हुआ। सप्त दिवसीय शिविर डॉ. लता श्रीमाली के कुशल निर्देशन में सफलतापूर्वक आयोजित किया गया। वैदिक संस्कार शिविर के अंतिम दिवस पर भगवती मां जगदंबा जी का पूजन किया गया। इस अवसर पर अङ्गन्यास, करन्यास, सप्तशती न्यासादि के साथ यथाशक्ति नवार्ण मंत्र जाप एवं श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ भी संपन्न हुआ। आचार्यो एवं न्यासियों ने वैदिक संस्कार शिविर का मुख्य प्रयोजन बताते हुए कहा कि इसका उद्देश्य बच्चों और युवाओं को भारतीय वैदिक संस्कृति, परंपराओं और नैतिक मूल्यों से परिचित कराना हैं। यह शिविर उन्हें वेदों, उपनिषदों और अन्य धार्मिक ग्रंथों के ज्ञान से भी अवगत कराता हैं, जिससे वे एक मजबूत, आत्मनिर्भर और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध भारत की नींव बन सकें। उन्होंने शिविर के मुख्य उद्देश्यों को प्रतिपादित करते हुए बताया कि इसके माध्यम से सांस्कृतिक जागरूकता बच्चों के अंदर आएगी। बच्चों में नैतिकता, अनुशासन और अच्छे आचरण को बढ़ावा मिलेगा। वेदों और अन्य धार्मिक ग्रंथों का ज्ञान प्रदान किया जाएगा। बच्चों के व्यक्तित्व को मजबूत करना और उन्हें आत्मविश्वास से भरपूर बनाना। बच्चों को आत्मनिर्भर और सक्षम बनाना। यह शिविर बच्चों को न केवल ज्ञान प्रदान करता हैं, बल्कि उन्हें एक बेहतर इंसान बनने में भी मदद करता हैं। अंत में, उन्होंने राजस्थान संस्कृत अकादमी की निर्देशिका डॉ. लता श्रीमाली को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए अपेक्षा व्यक्त की कि ऐसे वैदिक संस्कार शिविरों का आयोजन भविष्य में भी होता रहे, जिससे बच्चों के अंदर अच्छे गुणों का आविर्भाव होता रहे। सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामया। सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मां कश्चित् दुःखभाग् भवेत्। सभी सुखी हों, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मंगलमय के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े की मंगलकामनाओं के शिविर संपन्न हुआ।
