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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। जीवन में अपेक्षा नहीं करना। संसार में जितनी कम अपेक्षाएँ होगी उतना ही जीवन सुखमय होगा। उक्त विचार रामद्वारा चित्तौड़गढ़ में चल रहे चातुर्मास में रमताराम महाराज के शिष्य दिग्विजय राम महाराज ने अपने प्रवचन में व्यक्त किये।
उन्होंने कहा कि गुरू कृपा से ही नाभा जी महाराज ने भक्तों को पार किया। मानश्री सेवा से सागर नाव को आसानी से पार कर लिया। संतकृपा के कारण ही नाभा जी महाराज को दिव्यदृष्टि प्राप्त हुई। स्वामी रामचरण जी महाराज की वाणी में भी बताया गया कि संतो का प्रसाद ग्रहण होने से जीवन रोग, दोष, शोक का निवारण कर देता है। सबसे बड़ा संत है, उसमें भी बड़ा भक्त है। भगवत प्रसाद में ही शीत प्रसादी का अति महत्व प्रदान किया है। भगवान का चरित्र भक्तों की भक्ति की महिमा बड़ी विलक्षण है। जिसका वर्णन नहीं किया जा सकता है। भक्तों के चरित्र का में भाव नहीं लगा सकता। वृंदावन में एक भक्त रात में 12 बजे भोग लगाता, वह अलबेला भक्त अलग ही था।
