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सीधा सवाल। कपासन। प्रख्यात सूफी संत हज़रत दीवाना शाह के 84वें तीन रोजा उर्स मे संदल पेश करने की रस्म अदा। रविवार को कुल की फातिहा के साथ होगा उर्स सम्पन्न।दरगाह वक्फ कमेटी के सैक्रेट्री मोहम्मद अब्बास अशरफी के अनुसार शुक्रवार बाद नमाज़ ईशा के महफिले मिलाद के बाद महफिले समा का प्राग्राम हुआ जिसमे दुर-दुर से आए हुए 31 कव्वाल पार्टियो ने अपने अपने कलाम पेश कर दाद बटोरी और आशिके दीवाना ने दिल खोल कर इनाम दिया। बाबा हुजूर के उर्स मे देश के कौने-कौने से जायरीन की आवक हो रही है। जब मेहमाने दीवान पिया को 70 फिट उंचा बुलन्द दरवाजा दूर से जगमगाता हुआ दिखाई देता है तो दिल को सुकून मयस्सर होता हैं। हर तरफ दीवाना दीवाना की सदाऐ, आशिके दीवाना की लंगरखाने एवं दर्शन हेतु लम्बी लम्बी कतारे, धूणा मे मस्त मलंग, औलिया मस्जिद मे इबादतो रियाजत मे मशकूल दीवाने, आयशा मस्जिद मे इबादत मे मसरूफ मस्तुरात, मैला ग्राउण्ड मे खरीदारो की भीड तो झूला-चकरी, डोलर व खिलोने की दूकानो पर बच्चो के साथ बडो का हुजूम, खुशबू से महकता हुवा आस्ताना ए आलिया मे हर शख्स अदब से चादर, इत्र, फूल पेश कर रो रो कर अपना दुखडा बाबा को सुनाता हुआ और यह दिल मे है कि मैं इन्हे नही देख रहा हूँ मगर यह तो मुझे देख रहे है। यह बाबा हुजूर के 84 वे उर्स का हसीन मंजर।दरगाह वक्फ कमेटी के सदर अनवर अहमद छीपा के अनुसार रविवार प्रातः बाद नमाज़ फज़र के देग का खाना तकसीम होगा। कुल की महफिल 08ः00 बजे शुरू होगी जोहर की अज़ान से पहले कुल की फातिहा के साथ उर्स सम्पन्न होगे व सोमवार को मुख्य मज़ार के पट आम जायरीन के दर्शन हेतु खोले जायेगें। आम जायरीन के दर्शन हेतु साल मे एक बार ही यह पट खोले जाते है।इस दोरान 6 क्विंटल चावल, 6 क्विंटल शक्कर, 12 टीन देशी घी, 1.5 क्विंटल सुखा मेवा सभी एक साथ देग मे डालकर पकाए जाते हैं।दरगाह शरीफ पर ये देग साल मे दो बार आठ सफर एवं बारह रबिउलअव्वल को बनाई जाती हैं।
