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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। रामद्वारा चित्तौड़गढ़ में आयोजित चातुर्मास सत्संग में शनिवार 2 अगस्त को संत दिग्विजय महाराज ने अपने प्रवचनों में 24 अवतारों के वर्णन के दौरान 23वें अवतार कपिल नारायण भगवान (करदम रिषी) का वर्णन किया। कावक विमान जो विश्व का पहला विमान था। करदम ऋषि की 9 कथाएं है तथा एक अन्य जिसमें पुनः स्वयं कपिल नारायण भगवान का अवतार हुआ। कपिल भगवान ने संसार में ज्ञान व भागवत भजन हेतु प्रोत्साहित किया। कपिल ऋषि ने गंगा सागर में काफी वर्षों तक तपस्या की। अंतिम 24वां अवतार सनकादिक अवतार था। सनकादिक ऋषि 5 वर्ष के ही रहे। पांच वर्षों में ही मन, तन, सर्वत्र भगवत भजन किया। ब्रह्मा जी द्वारा सनकादिक ऋषि की उत्पति हुई। नाभा जी महाराज ने कुल 24 अवतारों का वर्णन किया।
भक्तमाल ग्रन्थ अन्तर्गत नाभा जी महाराज के आगे छन्द में बताया गया कि सभी अवतार शाश्वत सुख के सागर है। जिसका कोई छोर नहीं है। प्राणी मात्र के उद्धार के लिए भगवान अवतार लेते हैं एवं अनेक लीलाएँ भी करते हैं। रविवार 03 अगस्त से भगवान शिव एवं भगवान के 12 विशेष भक्तों के विवरण का उल्लेख होगा।
