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श्रद्धा, सत्संग और सेवा से भाव-विभोर हुए सैकड़ों श्रद्धालु

सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़।
मॉ शारदा सेवा समिति के तत्वावधान में मधुवन हाथीकुण्ड स्थित मंदिर परिसर में आयोजित सत्संग एवं भजन संध्या में भक्ति और ज्ञान का ऐसा संगम देखने को मिला, जिसने सैकड़ों श्रद्धालुओं को आत्मिक आनंद से भर दिया। यह भव्य सत्संग हरिकृपा धाम हरिद्वार से पधारे संत हनुमानदास जी महाराज, रामद्वारा से अंतरराष्ट्रीय संत दिग्विजयराम जी, तथा हरेकृष्णा प्रभु एवं जिला परिषद एसीईओ श्री राकेश पुरोहित की उपस्थिति में संपन्न हुआ।
कार्यक्रम की जानकारी देते हुए समिति के संस्थापक महेन्द्र जोशी ने बताया कि हरिद्वार से पधारे हनुमानदास जी महाराज ने अपने प्रवचन में गुरु और शिष्य के संबंध पर प्रकाश डालते हुए कहा कि "जो गुरु केवल दक्षिणा लेने तक सीमित रहे, वह सच्चा गुरु नहीं हो सकता। सच्चा गुरु वही होता है जो शिष्य की गलती पर उसे डांटे और मार्ग दिखाए।"
वहीं, हरेकृष्णा प्रभु एवं एसीईओ राकेश पुरोहित ने अपने भक्ति भाव से ओत-प्रोत संबोधन में कहा कि “भजन केवल मनोरंजन के लिए नहीं, आत्मा की गहराइयों से ईश्वर को रिझाने का माध्यम होना चाहिए।”
संत दिग्विजयराम जी ने समाज और परिवार की भूमिका पर बल देते हुए कहा कि "जैसा कर्म करोगे, वैसा ही फल मिलेगा। माता-पिता और बुजुर्गों की सेवा सबसे बड़ा धर्म है।"
तीनों संतों के पधारने पर समिति के शिवजी शर्मा, विठ्ठल पांडे, अरविन्द व्यास, विजय मलकानी, त्रिलोक छाबड़ा, कनकलता पाराशर, कल्याणी दीक्षित, सरस्वती शर्मा, सिम्पल शर्मा, और अन्य गणमान्यजनों द्वारा शॉल, उपरना और पगड़ी पहनाकर स्वागत किया गया।
सत्संग में दिनेश आगाल, अजय बनवार, महेन्द्र दामानी, विप्र फाउंडेशन की महिला अध्यक्ष इंद्रा शर्मा, फुलवंत सिंह सलुजा, परविंदर सलुजा सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लेकर संतों का उपरना ओढ़ाकर अभिनंदन किया और सत्संग का लाभ लिया।