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पारदी गैंग के खुलासे से जुड़ा है मामला

सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़ / निम्बाहेडा। यूं तो आए दिन पुलिस की कार्रवाई को लेकर विवाद सामने आते रहते है और पुलिस में कार्रवाई पर जांच कोई नई बात नहीं है। लेकिन इन सबके बीच इन दोनों निंबाहेड़ा कोतवाली थाना चर्चाओं का केंद्र बना हुआ है। लंबे समय से इनामी बदमाशों, फरार अपराधियों की गिरफ्तारी को लेकर निंबाहेड़ा कोतवाली थाना अधिकारी राम सुमेर मीणा, उनका थाना और कुछ विशेष कार्मिक मीडिया की सुर्खियां बने हुए हैं। निंबाहेड़ा कोतवाली के कारनामों के इनाम की सूची तो इतनी लंबी है की न केवल चित्तौड़गढ़ और राजस्थान बल्कि अन्य राज्यों में भी कार्यवाही की सराहना और इनाम मिलते हैं। लेकिन इस बार यह कार्रवाई इस कदर उल्टी पड़ गई है कि अब थाने को ना तो उगलते बन रहा है और ना निगलते बन रहा है। दरअसल गत दिनों निंबाहेड़ा कोतवाली थाना पुलिस ने एक इनामी अभियुक्त राजू पारदी को गिरफ्तार किया। बड़ी बहादुरी से इस इनामी बदमाश को गिरफ्तार करने की पटकथा लिखी गई, लेकिन जब इसकी पड़ताल हुई तो इनामी पुलिसकर्मी सूरज कुमार और थाना अधिकारी राम सुमेर मीणा से जवाब देते नहीं बन रहा है। थाना अधिकारी द्वारा दूसरों के द्वारा की गई कार्रवाई का सहरा अपने चेहते पुलिस अधिकारी के सिर बांधना सिर मुंडाते ही ओले पड़ने जैसा साबित हो रहा है। इस पूरे मामले में जहां आम लोगों की सजकता और मौके पर पहुंची पुलिस टीम को दरकिनार कर दिया गया, वहीं सरकारी रिवॉर्ड भी जारी करवा दिया गया है जिसकी अनुशंसा थाना अधिकारी राम सुमेर द्वारा की गई है। ऐसे में साफ है कि अपने ही थाने के कार्मिक को राहत देने में नाकाम रहे थाना अधिकारी राम सुमेर और उनकी टीम काम भले ही नहीं कर रही हो लेकिन श्रेय लेने में पीछे नहीं है।
मुफ्त का चंदन घिस मेरे नंदन
दरअसल सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार गत 30 अप्रैल 2025 को कुछ बदमाशों ने चोरी का प्रयास किया जिससे लोग जाग गए। मौके पर लोगों ने 112 पुलिस टीम को सूचना दी, वहीं अन्य क्षेत्र में रहने वाले निवासियों को भी सूचना देकर लोगों की मदद से बदमाशों को 112 की टीम ने त्वरित और तत्काल कार्रवाई करते हुए दबोच लिया और थाने पहुंचाया। लेकिन असली कहानी की पटकथा किसी बॉलीवुड की फिल्म की तर्ज पर थाना अधिकारी राम सुमेर मीणा के निर्देशन में लिखी गई और ऐसे पुलिसकर्मी को रिवॉर्ड दिलवाया गया जिसका घटनाक्रम से कोई लेना-देना नहीं है। कुल मिलाकर साफ है कि थाना कोतवाली निंबाहेड़ा में हुई यह कार्रवाई मुफ्त का चंदन घिस मेरे नंदन की तर्ज पर हुई है। जिसमें नाम और दाम दोनों का फायदा हुआ है लेकिन इस कार्रवाई के सामने आने के बाद यह सवाल खड़ा हो गया है कि आखिर ऐसे कितने मामले हैं जिनमें इस तरह की कार्रवाई की गई है।
साहब के सरपरस्तों से सवाल
इस पूरे मामले में न केवल थाना अधिकारी राम सुमेर मीणा बल्कि जिले के बड़े पुलिस अधिकारियों पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। जहां एक और कोतवाली थाना पुलिस खुद की इज्जत बचाने में नाकाम साबित हो रही है, अपराधी खुलेआम चुनौती देकर थाने से वाहन चुरा कर ले जा रहे हैं वहीं दूसरी ओर बेशर्मों की तरह आमजन और दूसरे पुलिसकर्मीयो द्वारा की गई कार्रवाई का इनाम चहेतो को दिलाने का खेल कोतवाली थाना अधिकारी के निर्देशन में चल रहा है, ऐसे में जिले के पुलिस के अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से यह सवाल किया जाना लाजमी है कि आखिर कोतवाली थाना पुलिस कर क्या रही है और क्यों उसकी मनमानी को शह दी जा रही है। अपनी छपास की भूख को शांत करने के लिए काम करने वाले कार्मिकों के अधिकारों का हनन करने के पीछे उद्देश्य क्या है।
नए नियम कहीं अपराधियों को तो फायदा नहीं!
बीएनएस की नई कानूनी प्रक्रिया लागू होने के बाद अपराधों पर लगाम लगाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक सबूत, वीडियो ग्राफी अनिवार्य की गई है। ऐसे में अलग स्थान पर पकड़े गए आरोपियों को दूसरे स्थान पर बताना और उसके लिए रिवॉर्ड जारी करना कहीं अपराधियों को बचाने की पटकथा तो नहीं है। ऐसी स्थिति में यह कार्यवाही केवल उपकृत करने का खेल है या फिर पर्दे के पीछे अपराधियों को फायदा पहुंचाने का षड्यंत्र है यह गंभीर विषय है जिसकी जांच किया जाना आवश्यक है। लेकिन लंबे समय से चल रहे इस खेल को लेकर अब तक कोई कार्रवाई नहीं किया जाना साबित करता है कि जिले के आला अधिकारियों की भी ऐसी कोई मंशा नहीं है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि हाल ही में चित्तौड़गढ़ जेल से बैतूल मध्य प्रदेश स्थानांतरण के दौरान एक बंदी फरार हो गया था जिसकी प्राथमिक की दर्ज करवाई गई, लेकिन लापरवाही को लेकर कोई कार्यवाही नहीं की गई है। ऐसे में जिले में पुलिस का इकबाल लगातार कम हो रहा है।