चित्तौड़गढ़ - जमीन विवाद में सामाजिक बहिष्कार, गंगरार क्षेत्र के सोनियाणा ग्राम पंचायत का मामला
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चित्तौड़गढ़ - व्यवसाई की डिक्की से दो लाख पार, चार मिनट में वारदात कर भागे बदमाश

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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। प्रदेश में भले ही यह दावा किया जाता है की खांप पंचायते अस्तित्व में नहीं है लेकिन वास्तविकता इससे पूरी तरह से उलट है। आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में इन खांप पंचायतों की मनमानी बदस्तूर जारी है। आजादी के 70 साल बीत जाने के बाद भी इन पंचायत का अस्तित्व बना हुआ है। कभी अपने निजी लाभ के लिए तो कभी मनमानी को बरकरार रखने के लिए यह खांप पंचायते अपने तुगलकी फरमान जारी करती है। ऐसा ही मामला चित्तौड़गढ़ जिले के गंगरार में सामने आया है जहां ग्राम दोला जी का खेड़ा में एक परिवार को जमीन खरीदने और पूर्व मालिक द्वारा उसके पास की चरागाह भूमि से कब्जा नहीं छोड़ने का खामियाजा भुगतना पड़ा है। एक और जहां प्रशासन है केवल उसी परिवार का चारागाह प्रतिक्रमण मानते हुए कार्रवाई की और जब अन्य प्रभावशाली लोगों के विरुद्ध परिवार द्वारा कार्रवाई की मांग की गई तो पूरे परिवार का बहिष्कार करने का फरमान जारी कर दिया गया। एक और जहां ग्रामीण क्षेत्र की प्रथम राजकीय इकाई माने जाने वाली आंगनवाड़ी कार्यकर्ता इस बहिष्कार की पुष्टि की है तो दूसरी ओर जिम्मेदार अधिकारी इस सामाजिक बहिष्कार के मामले की जानकारी होने से ही इनकार कर रहे हैं। लेकिन मामले में यह बात परीलक्षित हो रही है की मनमानी करवाई का विरोध करने का तुगलकी खामियाजा पूरे परिवार को बहिष्कार के रूप में भुगतना पड़ रहा है। हालात यह है की क्षेत्र के आयोजनों में आने जाने पर पाबंदी लगा दी गई है,आर्थिक दंड भी लगाया गया है। फिलहाल परिवार द्वारा अब इस मनमानी के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जा रही है। लेकिन इस मामले ने साफ कर दिया है कि खांप पंचायतें अपनी मनमानी कर रही है जिन्हें जिम्मेदारों का संरक्षण मिला हुआ है।

यह है मामला

मिली जानकारी के अनुसार सत्यनारायण पुत्र रतनलाल सुवालका के पिता द्वारा भीलवाड़ा निवासी एक व्यक्ति से भूमि रजिस्ट्री के माध्यम से खरीदी गई थी। जो पूर्व में गांव के ही एक गुर्जर परिवार की थी। भूमि खरीदने के बाद जब परिवार द्वारा इस पर तारबंदी की जाने लगी तो भूमि के प्रथम स्वामी गुर्जर परिवार के सदस्य सोहन पुत्र मांगीलाल  गुर्जर द्वारा इस भूमि में चारागाह भूमि की होने की बात कहते हुए उस भूमि पर उसका कब्जा होने की बात कही गई। और निर्माण कार्य रोकने का दबाव बनाया गया। लेकिन जब बात नहीं बनी तो चारागाह भूमि पर अतिक्रमण होने की शिकायत दर्ज करवाई गई। इसके बाद नायब तहसीलदार कार्यालय से नोटिस जारी किया गया। और प्रशस्ति अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर बात की तो परिवार ने एक जनप्रतिनिधि और अन्य व्यक्तियों द्वारा चारागाह भूमि पर किए गए अतिक्रमण को एक साथ हटाने की बात कही इस पर प्रशासनिक अधिकारी लौट गए। लेकिन केवल इसी परिवार पर दबाव बनाने के लिए परिवार का सामाजिक बहिष्कार करने का फरमान खांप पंचायत ने जारी कर दिया।

थाने से लेकर कलेक्टर तक शिकायत कार्रवाई शून्य

वैसे तो राजस्थान में खाप पंचायत पर पूरी तरह से रोक है। लेकिन इनका संचालन करने वाले और मनमाने फरमान देने वाले कथित पंच परमेश्वर रसूखदार लोग हैं। इसलिए इन पर कोई कार्रवाई नहीं होती है। इस मामले में भी दुष्प्रेरण से की जा रही कार्रवाई की मांग के लिए थाने से लेकर जिला कलेक्टर तक सुनवाई के लिए गुहार लगाई जा चुकी है। लेकिन अब तक इस मामले में पुलिस द्वारा केवल परिवार दर्ज किया गया है वहीं प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इससे स्पष्ट है कि यह खाप पंचायत खास लोगों द्वारा चलाई जाती है जिनका ना तो पुलिस कुछ बिगाड़ सकती है और ना ही प्रशासन कोई कार्रवाई कर सकता है।

सरकारी भूमि पर अतिक्रमण तो औरों पर कार्रवाई क्यों नहीं ?

इस मामले में स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा यह बताया गया कि जिस परिवार का सामाजिक बहिष्कार किया गया है उसने अतिक्रमण किया था जिस प्रकार की गई है। लेकिन पूरे मामले में बड़ा सवाल यह है कि क्षेत्र में जिस भूमि से अतिक्रमण हटाया गया उसके आसपास के बड़े क्षेत्रफल पर भी प्रभावशाली लोगों ने अतिक्रमण कर रखा है लेकिन कार्रवाई के नाम पर केवल इसी परिवार को हटाया गया और इस परिवार का सामाजिक बहिष्कार भी किया गया है। जबकि परिवार द्वारा भी इस मामले में सरकारी भूमि पर अतिक्रमण होने की शिकायत दर्ज करवाई गई थी लेकिन करवाई केवल इसी परिवार के विरुद्ध प्रशासन द्वारा भी की गई और खांप पंचायत द्वारा भी की गई है। इससे स्पष्ट है कि केवल एक परिवार को निशाना बनाकर कतिपय लोगों द्वारा कार्रवाई की जा रही है और प्रशासन भी समान दृष्टि से कार्रवाई करने के स्थान पर उन्हीं लोगों का साथ देता प्रतीत हो रहा है। इससे यह प्रश्न खड़ा होता है कि आखिर स्थानीय स्तर पर प्रशासन ऐसी पंचायत को कई संरक्षण तो नहीं दे रहा है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि ऐसी पंचायत और बाल विवाह के मामले को लेकर गंगरार क्षेत्र पूर्व में राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में रहा है।


गांव के स्तर पर सुवालका परिवार का बहिष्कार किया गया है इसकी जानकारी है पूर्व में भी एक अन्य परिवार का बहिष्कार किया गया था। उच्च अधिकारियों को इस बारे में सूचना नहीं दी है।

तारा बाहेती, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता

थाने में रिपोर्ट प्राप्त हुई है दोनों पक्षों को बुलाया है वास्तविकता की जांच कर रहे हैं। जमीन पर अतिक्रमण का मामला है।

डीपी दाधीच, थानाधिकारी थाना गंगरार


हमने अतिक्रमण की कार्रवाई की थी। सामाजिक बहिष्कार की जानकारी नहीं है यदि परिवार के साथ ऐसा हुआ है तो जिला कलेक्टर को शिकायत करें निर्देश मिलने पर कार्रवाई करेंगे।

रामपाल खटीक, नायब तहसीलदार


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