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मन की शांति की तलाश में युवा सबकुछ छोड़ अपना रहे वैराग्य पथ- साध्वी काव्यलता

पैसे से मन की शांति नहीं खरीदी जा सकती। जब मन में कहीं न कहीं अशांति घर कर जाती है तो वह पैसों से भी दूर नहीं होती। आत्मिक शांति की तलाश में युवा संसारिक जीवन छोड़कर दीक्षा लेकर वैराग्य पथ अपना रहे है। क्योंकि इस रास्ते पर चलने पर खोने को कुछ नहीं होता। मन की शांति के साथ मान-सम्मान मिलता है। युगप्रधान आचार्य महाश्रमण की विदुषी शिष्या साध्वी काव्यलता ने कही। वे करीब 25 सालों बाद पाली में फिर से चातुमांस के लिए आए हुए है।चातुर्मास को लेकर उन्होंने कहा कि धर्म-ध्यान के जरिए ज्ञान, दर्शन और चारित्रिक तप में वृद्धि करना ही चातुर्मास है। चातुर्मास आत्मा को निर्मल बनाने का समय होता है। श्रावक-श्राविकाओं को चाहिए कि वे चातुर्मास के दौरान अपना समय धर्म-ध्यान में लगाएं। सोशल मीडिया के दुष्ट प्रभाव को लेकर उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया अपनी अभिव्यक्ति को जाहिर करने का एक साधन है। ऐसा कोई फोटो-वीडियो अपलोड नहीं करना चाहिए की जिससे परिवार और गौरव, मर्यादा को चोट पहुंचे बस युवा इस बात का विशेष ध्यान रखे।
