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बिना लिखे परीक्षा में पास हुआ छात्र सुनाई आप बीती

सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। राजस्थान के कृषि मंत्री किरोड़ी लाल मीणा मंगलवार को अचानक चित्तौड़गढ़ जिले के गंगरार स्थित मेवाड़ यूनिवर्सिटी पहुंचे और वहां की हकीकत देख उनके तेवर तीखे हो गए। मंत्री को पहले से शिकायत मिली थी कि इस यूनिवर्सिटी में एग्रीकल्चर डिप्लोमा और डिग्री के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा चल रहा है। बताया गया कि एक साल के डिप्लोमा कोर्स में सिर्फ दो घंटे की पढ़ाई होती है और बाकी सब पैसा लेकर डिग्री बांटी जा रही है।
करीब 11 बजे बिना किसी सूचना के पहुंचे मंत्री ने सीधे बीएससी एग्रीकल्चर के छात्रों से बात की। मौके पर मिली जानकारी से मंत्री भड़क उठे। उन्होंने यूनिवर्सिटी को भविष्य बर्बादी की फैक्ट्री बताया और कहा कि यहां दी जा रही डिग्रियों की कोई मान्यता नहीं है। मंत्री मीणा ने कहा कि पैसे लेकर छात्रों को पास किया जा रहा है, बिना पढ़ाई, बिना परीक्षा की पारदर्शिता के। यहां से डिग्री लेने वाला कोई छात्र ना तो आरपीएससी दे सकता है, ना यूपीएससी, और ना ही किसी सरकारी नौकरी के योग्य रह जाता है।
मंत्री ने इस पूरे मामले को लेकर एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट के जरिए एफआईआर दर्ज करवाने की बात कही। साथ ही एसओजी के अफसरों से जवाब मांगने की घोषणा की कि उन्होंने अब तक जांच पूरी क्यों नहीं की। उन्होंने कहा कि एक तरफ प्रधानमंत्री किसानों की आय दोगुनी करने की बात कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर मेवाड़ यूनिवर्सिटी जैसे संस्थान युवाओं का भविष्य अंधेरे में धकेल रहे हैं।
मंत्री ने खुलासा किया कि मेवाड़
यूनिवर्सिटी ने एक साल पहले सरकार को शपथ पत्र दिया था कि वह ICAR से मान्यता प्राप्त करेगी, लेकिन आज तक मान्यता नहीं ली गई। उन्होंने यह भी कहा कि सिर्फ एग्रीकल्चर डिप्लोमा ही नहीं, बल्कि बीएससी हॉर्टिकल्चर और एग्रीकल्चर की डिग्रियों में भी फर्जीवाड़ा किया जा रहा है। उन्होंने इसे "गोरखधंधा" बताते हुए कहा कि महाराणा प्रताप जैसे महापुरुषों के नाम पर ‘मेवाड़’ नाम का इस्तेमाल कर बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है।
मंत्री को शिकायत देने वाले बीकानेर के स्वतंत्र
बिश्नोई ने बताया कि वह कॉमर्स स्ट्रीम से हैं और बीकानेर के एक दलाल ने 50 हजार रुपये लेकर उन्हें मेवाड़ यूनिवर्सिटी भेजा। न कोई ऑनलाइन क्लास हुई, न ऑफलाइन। सीधे परीक्षा देने बुलाया गया, वहीं कॉपियां हाथों-हाथ चेक की गईं और बिना कुछ सही जवाब लिखे उन्हें फर्स्ट डिवीजन में पास कर डिग्री दे दी गई। बिश्नोई ने मंत्री को बताया कि जब उन्होंने कुछ लिखा ही नहीं था तो पास कैसे कर दिया गया।
मंत्री मीणा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि ऐसी यूनिवर्सिटियां युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ कर रही हैं और इन पर सख्त कार्रवाई ज़रूरी है। इस मामले में सरकार पूरी सख्ती बरतेगी और दोषियों को किसी भी सूरत में नहीं बख्शा जाएगा। इधर यूनिवर्सिटी के रजिस्टर एवं परीक्षा नियंत्रक डीडी कुमावत ने बताया कि यूनिवर्सिटी द्वारा सभी नियमों का पालन किया जाता है छात्र दबाव में बयान दे रहा है। हम मान्यता प्राप्त सीट पर कोर्स संचालित कर रहे हैं और जब सरकार रोजगार नहीं दे सकती है तो यह जिम्मेदारी सरकार की है।
अक्सर विवादों में मेवाड़ यूनिवर्सिटी
गंगरार में संचालित मेवाड़ यूनिवर्सिटी अक्सर विवादों में बनी रहती है। पूर्व में कश्मीरी छात्रों की छात्रवृत्ति की गड़बड़ी पेपर लीक से नाम जुड़ने और इसी के साथ देश विरोधी नारे यूनिवर्सिटी कैंपस में लगे जैसे मामलों को लेकर यूनिवर्सिटी विवाद में रही है। लगातार विवाद सामने आने के बावजूद प्रबंधन से जुड़े लोगों के राजनीतिक संपर्कों के चलते अब तक किसी भी मामले में ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। ऐसे में अब देखने वाली बात होगी की फर्जी डिग्री वितरण को लेकर मंत्री की छापामार कार्यवाही के बाद किस तरह की कानूनी कार्रवाई होती है।