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सीधा सवाल। चित्तौड़गढ़। सरकारी महकमों में अमूमन यह देखने को सामने आता है कि सामग्री की टूट-फूट होने पर इन्हें कबाड़ में डाल दिया जाता है। बाद में इनकी ज्यादा मात्रा एकत्रित होने पर नियमानुसार नीलाम कर दिया जाता है, जिससे मामूली आय हो जाती है। लेकिन चित्तौड़गढ़ जिला मुख्यालय पर स्थित महाराणा प्रताप राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय में थोड़ी राशि खर्च कर के सवा दो लाख से ज्यादा की बचत कर ली। प्राचार्य और स्टाफ ने मित व्ययता बरतने के साथ ही सृजनात्मकता भी दिखाई। कबाड़ में रखे टूटे-फूटे लोहे के फर्नीचर से कुर्सी और टेबल के 150 सैट तैयार कर लिए, जो कि पूरी तरह से नए जैसे दिख रहे हैं। अब कॉलेज में शुरू होने जा रही परीक्षा में विद्यार्थी इन्हीं पर बैठ कर परीक्षा देंगे।
महाराणा प्रताप राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय चितौड़गढ़ में लंबे समय से फर्नीचर में टूट-फूट होने पर कबाड़ में डाल दिया गया था। यह कबाड़ बढ़ता जा रहा था और सामग्री रखने की जगह नहीं थी। कक्षाओं तथा परीक्षाओं को लेकर विद्यार्थियों के लिए फर्नीचर की भी आवश्यकता महसूस होने लगी। इसके लिए पहले कॉलेज प्रशासन ने नए फर्नीचर खरीदने की सोची लेकिन बजट काफी अधिक आ रहा था। ऐसे में कॉलेज प्राचार्य तथा कॉलेज की भवन एवं फर्नीचर रख रखाव कमेटी ने कुछ अलग करने की सोची। कॉलेज के कमरे और छत कबाड़ से भर चुके थे। इन्हीं को देख कर नया फर्नीचर तैयार करने का आईडिया आया। ऐसे में कबाड़ से टूटे हुवे फर्नीचर को निकलवा कर तैयार करवाया। कॉलेज प्राचार्य डॉ गौतम कुकड़ा के साथ कॉलेज की भवन एवं फर्नीचर रख रखाव समिति के प्रभारी लोकेंद्रसिंह चुंडावत, सदस्य नरेंद्र गुप्ता, प्रशासनिक अधिकारी राजेश जीनगर, स्टोर प्रभारी राजकुमार व्यास, लेखा प्रभारी राधेश्यामसिंह तंवर की सोच और देख-रख में यह फर्नीचर तैयार किया हुआ।
नया सैट 2700 का, 350 में एक सेट की हो गई मरम्मत
कॉलेज प्राचार्य ने बताया कि कॉलेज में विद्यार्थियों के लिए फर्नीचर की आवश्यकता महसूस होने लगी। पहले कॉलेज प्रशासन ने नया फर्नीचर खरीदने का सोचा लेकिन यह काफी महंगा पड़ रहा था। नए फर्नीचर में एक कुर्सी और टेबल का मूल्य खादी भंडार पर करीब 2708 रुपए थी। ऐसे में 150 फर्नीचर खरीदने के लिए 2 लाख 70 हजार रुपए खर्च होने थे। वहीं एक सेट की मरम्मत पर 350 रुपए का खर्च आ रहा था। ऐसे में 100 फर्नीचर के सेट तैयार करने के लिए करीब 35 हजार रुपए ही खर्च हुए।
वेल्डिंग के साथ कलर कर के भी दिया
कॉलेज प्रशासन ने फर्नीचर की मरम्मत में भी मितव्ययता बरती। तीन-चार अलग-अलग कार्य करने वालों से बात की। इसमें जिसका सबसे कम मूल्य था उसको काम दिया गया। इसमें फर्नीचर की मरम्मत करने के साथ ही कलर भी करना शामिल था। प्रत्येक सेट के 350 रुपए तय किए गए थे।
छत पर पड़े कबाड़ से टपकने लगी छत, यहीं से आया आईडिया
कॉलेज प्राचार्य डॉक्टर गौतम कुकड़ा ने बताया कि उन्होंने 1 जून 2021 को पीजी कॉलेज में कार्यभार ग्रहण किया था। इसके बाद मानसून में छत टपकाने की समस्या सामने आई थी। इससे भवन को नुकसान पहुंच रहा था। कॉलेज की छत पर जाकर देखा तो बड़ी मात्रा में कबाड़ रखा था, जिससे पानी रुक रहा था और कमरों में उतर रहा था। इससे भवन को नुकसान हो रहा था। कॉलेज की छत के अलावा कुछ कमरों में भी काफी कबाड़ एकत्रित हो रहा था। ऐसे में इनके सदुपयोग करने की सोची। यहीं से टूटे फूटे कबाड़ से फर्निचर तैयार करने का आईडिया और कमेटी के सदस्यों के चर्चा की।
वर्जन....
कॉलेज के नियमित छात्रों के लगातार फर्नीचर उपयोग किए जाने से लोहे का फर्नीचर टूट जाता है। वार्षिक परीक्षाएं पास में आ गई, जिसमें यह आवश्यक समझा गया कि टूटे फर्नीचर को वेल्ड करवा कर नया रूप दे दिया जाए। इससे काफी पैसे का बचाव भी हो सकता है। प्राचार्य से अनुमति लेकर बाजार से न्यूनतम मूल्य पर फर्नीचर की मरम्मत करवाई गई।
लोकेंद्र सिंह चुंडावत, प्रभारी भवन एवं फर्नीचर रख रखाव कमेटी, पीजी कॉलेज चित्तौड़गढ़